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जाता है। इसलिये गुणजन्य श्वेतता-उज्ज्वलता तप में है । कर्मों का मैल श्याम है। श्याम के सामने श्वेत है। इसलिये तप गुण श्वेत-उज्ज्वल कहा गया है।
विश्व में श्वेतवर्ण मंगलरूप गिना जाता है। तप भी उत्कृष्ट मंगलरूप होने से श्वेत-उज्ज्वल वर्ण वाला माना गया है।
सम्यग् तप की उपमाएँ शास्त्र में संयमपूर्वक सम्यग् तप की अनेक उपमाएँ प्रतिपादित की गई हैं। अनादि काल से संसार में परिभ्रमण करते हुए जीवों को मोक्ष-सुख पाने का उत्तम उपाय सद्धर्म है। सद्धर्म के दान, शील, तप और भाव ये चार प्रकार हैं। मोक्षमार्ग स्वरूप सम्यग्दर्शन, सम्यगज्ञान और सम्यगचारित्र धर्म हैं । अहिंसा, संयम और तप ये तीनों धर्म के स्वरूप हैं ।
अहिंसा आहार है, संयम रुचि है और तप भोजन है। अहिंसा रूपी आहार मिलने पर भी तप रूपी भोजन नहीं करने वाली प्रात्मा तृप्ति नहीं पा सकती । इसलिये आत्मा को तप रूपी भोजन अवश्य ही करना चाहिये ।
जगत में जैसे दान, धर्म का पाया है; शील धर्म का चणतर है, वैसे ही तप धर्म का शिखर है और भाव धर्म
श्रीसिद्धचक्र-नवपदस्वरूपदर्शन-२६६