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________________ तीर्थप्रभावक - परमपूज्य आचार्यदेव श्रीमद विजयसुशील सूरीश्वरजीम. सा. की के पट्टधर - शिष्यरत्न पूज्य उपाध्यायजी महाराज श्री विनोद विजयजी गणिवर्य * प्रेरक * * सम्पादक जैनधर्म दिवाकर-शासन रत्न- 5 राजस्थानदीपक - मरुधर - देशोद्धारक - सूरिमन्त्रसमाराधक - परमपूज्याचार्यदेव श्रीमद विजयसुशांलसूरीश्वरजी म.सा. के विद्वान् शिष्यरत्न पूज्य मुनिराज श्री जिनोत्तमविजयजी 品 महाराज नेमि सं. ३६ मूल्य - सदुपयोग श्री वीर सं. २५११ प्रतियाँ - १००० -- - विक्रम स २०४१ प्रथमावृत्ति सप्रेम भेंट श्रीतखतगढ़ नगर में शास्त्रविशारद - साहित्यरत्न - कविभूषण - पूज्याचार्य देव श्रीमद्विजयसुशीळसूरीश्वरजी म.सा. की शुभ मिश्रा में तखतगढ़ निवासी संघवी श्री ओटरमळजी भूताजी बलदरा वालों की तरफ से श्री उपधानतप की आराधना के उपलक्ष में माला के मंगल प्रसंग पर उपधानवाही श्राराधक महानुभावों को यह 'श्रीसिद्धचक्र - नवपद स्वरूप दशम' की अनुपम पुस्तिका सादर सप्रेम भेंट | प्रकाशक : श्राचार्य श्री सुशीलसूरि जैन ज्ञानमन्दिर शान्तिनगर - सिरोही राजस्थान (मारवाड़ ) HED [ विक्रम सं. २०४१ महा सुद ११ शुक्रवार दिनांक १-२ - १९८५ ] ( श्री उपधानतपमाला दिन ) मुद्रक : हिन्दुस्तान प्रिण्टर्स जोधपुर. * द्रव्यसहायक—संघवी श्री प्रोटरमल भूताजी, तखतगढ़ * My Van War M mily फ्र 5
SR No.002288
Book TitleSiddhachakra Navpad Swarup Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandir
Publication Year1985
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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