SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 215
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ऐसा श्रीसम्यग्दर्शन प्रात्मा का एक महान क्रान्तिकारी गुण है। उसके अचिन्त्य प्रभाव से प्रात्मा की अनादिकालीन मलिन वृत्ति में एकदम परिवर्तन आ जाता है। जैसे कतक के चूर्ण से मलिन जल निर्मल बन जाता है वैसे ही श्रीसम्यग्दर्शन के संग से आत्मा की मलिन वृत्ति स्वच्छ-निर्मल बन जाती है। महामहिमावन्त श्रीसम्यग्दर्शन पद की अहर्निश उपासना करके अपन शीघ्र भवसिन्धु तीर के-मोक्ष के शाश्वत सुख पावें । संसार के सभी जीवों में शुद्ध देव, शुद्ध गुरु और शुद्ध धर्म के प्रति अन्तरंग रुचि, अन्तरंग प्रेम-स्नेह, अन्तरंग विश्वास जागृत हो और सर्वदा अविचल रहे, यही शुभ भावना है। . श्रीसिद्धचक्र-नवपदस्वरूपदर्शन-१६२
SR No.002288
Book TitleSiddhachakra Navpad Swarup Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandir
Publication Year1985
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy