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________________ श्री अंजनशलाका - प्रतिष्ठा महोत्सव का वर्णन भी लिया है । तथा चालू वि. सं. २०४१ की साल में तखतगढ़ में चल रहे श्रीउपधानतप एवं उसकी मालामहोत्सव का भी वर्णन लिया है । इस ग्रन्थ का सुसम्पादन कार्य परपज्य प्राचार्यदेव के विद्वान् शिष्यरत्न कार्यदक्ष पूज्य मुनिराज श्रोजिनोत्तमविजयजी महाराज ने किया है । इस ग्रन्थ के संशोधन का कार्य करने वाले चेतनप्रकाशजो पाटनी जोधपुर वाले हैं । इस ग्रन्थ की भूमिका लिखने वाले प्रोफेसर श्रीजवाहरचन्दजी पटनी कालन्द्री वाले वर्तमान में फालना में निवास करते हैं । इस ग्रन्थ में दिये हुए चातुर्मासादि वर्णन लिखने वाले धार्मिक शिक्षक शा. बाबूभाई मणिलाल भाभरवाले वर्त्तमान में तखतगढ़ में हैं । इस ग्रन्थ को प्रकाशित करने में पूज्य उपाध्याय श्रीविनोदविजयजी म. सा. के सदुपदेश से संघवी श्रीप्रोटरमलजी भूताजीने अपनी तरफ से द्रव्य सहायता प्रदान कर सम्पूर्ण लाभ लिया है । संघवोजो के सुपुत्र श्रीकान्तिलालजी, श्रीचुन्नीलालजी, श्रीपारसमलजी तथा श्रीमदनलालजी ने इस ग्रन्थ को पुस्तिका रूपे शीघ्र प्रकाशित करने हेतु सक्रिय प्रयास किया है । । पूज्यपाद आचार्य म. सा. की आज्ञानुसार हमारे प्रेस सम्बन्धी प्रकाशन कार्य में पूर्ण सहकार देने वाले जोधपुर निवासी श्रीसुखपालजी भंडारी तथा संघवी श्री गुणदयालचन्दजी भंडारी एवं श्रीमंगलचन्दजी गोलिया आदि हैं सिरोही निवासी विधिकारक श्री मनोजकुमार बाबूमलजी हरण (एम. कॉम. ) ने भी यह ग्रन्थ प्रतिवर्ष चैत्रमास की तथा आसोज मास की शाश्वती झोली में आराधक महानुभावों को प्रति उपयोगी होने वाला है, इसलिये उसको शीघ्रतर प्रकाशित करने की प्रेरणा की है । इन सभी का हम हार्दिक आभार मानते हैं । अन्त में, 'श्रीसिद्धचक्र - नवपद स्वरूप दर्शन' ग्रन्थ चतुर्विध संघ के सभी धर्मप्रेमी जीवों को प्रति उपयोगी होगा, ऐसी आशा रखते हैं । अक्षर-संयोजक व सेंटिंग के लिए श्री राधेश्यामजी सोनी व शेख मोहम्मद साबिर, जोधपुर भी अतिशय धन्यवाद के पात्र हैं । - प्रकाशक ( १२ )
SR No.002288
Book TitleSiddhachakra Navpad Swarup Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandir
Publication Year1985
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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