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जिस तरह पुरुष के दो पाँव (चरण), दो जङ्गा (साथल), दो उरु, दो गात्रार्ध (पीठ और उदर), दो हाथ, एक डोक और एक शिर (मस्तक) सर्व मिल कर बारह अंग होते हैं; उसी तरह द्वादशांगीरूप आगमपुरुष के बारह अंग होते हैं।
द्वादशाङ्गीरूप
बारह अंगों के नाम (१) श्री प्राचारांग सूत्र (२) श्री सूत्रकृतांग सूत्र (३) श्री स्थानांग सूत्र (४) श्री समवायांग सूत्र (५) श्री विवाहप्रज्ञप्ति अंग सूत्र (श्रीभगवतीसूत्र) (६) श्री ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र (७) श्री उपासकदशांग सूत्र (८) श्री अन्तकृद्दशांग सूत्र (६) श्री अनुत्तरोपपातिकदशांग सूत्र (१०) श्री प्रश्नव्याकरणांग सूत्र (११) श्री विपाकश्रु तांग सूत्र
श्रीसिद्धचक्र-नवपदस्वरूपदर्शन-१०६