________________
उपाध्याय में रहे हुए प-कार का व-कार तथा ध्या का झाकार हो जाने से उवझाय बना । पश्चात् झ का द्वित्व तथा प्रथम झ का ज् होने से 'उवज्झाय' शब्द बन जाता है।
(१) 'उप् + अधि+इण् गतौ' गमन अर्थ में। जिनके पास
सूत्र पढ़ने के लिए जाना हो उन्हें उपाध्याय कहा जाता है।
(२) 'उप्+अधिइक स्मरणे' स्मरण अर्थ में- जिनके
पास सूत्र का स्मरण होवे वे उपाध्याय कहे जाते हैं ।
(३) 'उप अधि+इड्. अध्ययने' अध्ययन अर्थ में- जिनके
पास सूत्र पढ़ा जावे वे भी उपाध्याय कहे जाते हैं ।
(४) जिनके द्वारा श्रुतज्ञान का लाभ हो जाय या जिनका
सान्निध्य श्र तज्ञान के लाभ का कारण हो जाय इत्यादि से भी उपाध्याय शब्द की सार्थकता सिद्ध होती है।
उपाध्याय के अन्य नाम
जैन शास्त्रों में उवज्झाय--उपाध्यायजी महाराज को
श्रीसिद्धचक्र-नवपदस्वरूपदर्शन-१०४