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________________ m (९) नीचगोत्र (१०) अन्तराय (११) आयुष्यकर्म in | < x इन आठ कर्मों को ३१ प्रकृतियों के क्षय होने से सिद्धभगवन्तों के ३१ गुण भी जानना । सिद्धभगवन्तों के नाम मोक्ष में विद्यमान सिद्धभगवन्तों के अनेक नाम हैं। कहा भी है कि सिद्ध त्ति य बुद्ध त्ति य, पारगय त्ति य परम्परागयत्ति । उमुक्क कम्मकवया, अजरा अमरा प्रसंगा य ॥ [ आवश्यक नियुक्ति गाथा-६८७ ] अर्थ- सिद्ध, बुद्ध, पारगत, परम्परागत, कर्मवचोन्मुक्त, अजर, अमर और असङ्ग ये नाम सिद्धभगवन्तों के हैं । सिद्धों के भेद सिद्धों के पन्द्रह भेद हैं। वादिवेताल आचार्य श्री श्रीसिद्धचक्र-नवपदस्वरूपदर्शन-६६
SR No.002288
Book TitleSiddhachakra Navpad Swarup Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandir
Publication Year1985
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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