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________________ किया गया है। नायक के समग्र जीवन का वर्णन तथा अवान्तर कथाओं के अभाव के कारण कथानक में रोचकता नहीं है। कथावस्तु अत्यन्त शिथिल है। उसमें जीवन का उतार-चढ़ाव वर्णित नहीं है। बीच-बीच में व्याकरण के उदाहरणों को समाविष्ट कर देने के कारण काव्य में कृत्रिमता आ गई है। किन्तु सजीव वस्तुवर्णन, प्राकृतिक दृश्यों के मनोरम चित्रण एवं अलंकारों के उत्कृष्ट विन्यास के कारण यह उच्चकोटि का काव्य माना गया है अणहिल नगर के वर्णन में कवि की यह मौलिक उपमा दृष्टव्य है - जस्सि सकलंक वि हु रयणी-रमणं कुणंति अकलंक। संखधर-संख-भंगोजलाओ भवणंसु-भंगीओ॥... (गा. 1.16) अर्थात् - जिस नगर में शंख, प्रवाल, मोती, रत्न आदि से ज्योतिर्मय भवनों की उज्जवल किरणे कलंकित चन्द्रमा को भी निष्कलंक बना देती है। ___ आचार्य हेमचन्द्र ने द्वयाश्रयकाव्य के द्वारा दोहरे उद्देश्य की पूर्ति की है। एक ओर चौलुक्यवंशी राजाओं के जीवन चरित का वर्णन हो जाता है एवं दूसरी ओर संस्कृत-प्राकृत के शब्दों को व्याकरण के उदाहरण के रूप में प्रस्तुत कर दिया जाता है। अतः काव्य का द्वयाश्रय विशेषण सार्थक हो जाता है। जैनाचार्यो में आचार्य हेमचन्द्र बहुमुखी प्रतिभा के धनी कवि हैं। उनका जन्म गुजरात के धुन्धका नाम गांव में वि. स. 1145 (सन् 1088) की कार्तिक पूर्णिमा को हुआ था। हेमचन्द्र के पिता चांगदेव/चाचिगदेव शैवधर्म को मानने वाले वणिक् थे। उनकी पत्नी का नाम पाहिनी था। हेमचन्द्र का बचपन का नाम चांडदेव था। चांडग्देव बचपन से ही प्रतिभासम्पन्न एवं होनहार बालक था। उसकी विलक्षण प्रतिभा एवं शुभ लक्षणों को देखकर आचार्य देवचन्द्रसूरि ने माता पाहिनी से चांगदेव को मांग लिया एवं उसे अपना शिष्य बना लिया।आठ वर्ष की अवस्था में चांगदेव की दीक्षा सम्पन्नहुई। दीक्षा के उपरान्त उसका नाम सोमचन्द्र रखा गया। सोमचन्द्र ने अपने गुरु से तर्क, व्याकरण, काव्य दर्शन, आगम आदि अनेक ग्रन्थों का गहन, अध्ययन किया। उनकी असाधारण प्रतिभा और चारित्र के कारण सोमचन्द्र को 21 वर्ष को अवस्था में वि.स. 1166 सूरिपद प्रदान किया गया। तब सोमचन्द्र का हेमचन्द्रसूरि रख दिया गया। 72 0 प्राकृत रत्नाकर
SR No.002287
Book TitlePrakrit Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherRashtriya Prakrit Adhyayan evam Sanshodhan Samsthan
Publication Year2012
Total Pages430
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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