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________________ कुन्दकुन्द की रचनाएँ उनके बहुआयामी व्यक्तित्व की द्योतक हैं। मानव के आध्यात्मिक विकास हेतु उन्होंने अनेक ग्रन्थों का प्रणयन किया। उनकी सभी रचनाएँ शौरसेनी प्राकृत में हैं। कुन्दकुन्द के शौरसेनी प्राकृत साहित्य में शौरसेनी प्राकृत के स्वरूप को जानने की महत्त्वपूर्ण सामग्री है। 91. कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ श्री देवकुमार सिंह कासलीवाल द्वारा तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री मोतीलाल वोरा की उपस्थिति में दिगम्बर जैन उदासीन आश्रम ट्रस्ट, इन्दौर के अन्तर्गत अक्टूबर 1987 में कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ की स्थापना की गई। प्रारंभ से ही संस्था का संचालन का महत्त्वपूर्ण प्रभार मानद् सचिव के रूप में डॉ. अनुपम जैन देख रहे हैं। विगत 24 वर्षों में इस संस्थान द्वारा उल्लेखनीय प्रगति दर्ज की गई है, जो विशिष्ट केन्द्र का दर्जा प्रदान करती है। कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ की स्थापना मूलतः शोध संस्थान के रूप में ही की गई है। इसके अन्तर्गत आधारभूत सुविधाओं के विकास की श्रृंखला में संदर्भ ग्रंथालय (पुस्तकालय) का विकास, त्रैमासिक शोध पत्रिका, अर्हत् वचन के प्रकाशन के साथ शोध गतिविधियों के विकास के क्रम में जैनशास्त्र भंडारों के सूचीकरण हेतु सूचीकरण परियोजना का क्रियान्वयन, व्याख्यानमालाओं का आयोजन, श्रेष्ठ शोध आलेखों के लेखन को प्रोत्साहित करने हेतु अर्हतवचन पुरस्कार योजना एवं जैन विद्याओं के क्षेत्र में मौलिक लेखन को प्रोत्साहित करने हेतु कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ को शोध केन्द्रों के रूप में मान्यता प्रदान करायी गई है। 92. कुन्दकुन्द भारती जैन-शोध संस्थान ___ आचार्य श्री विद्यानन्द जी मुनिराज की पावन प्रेरणा से सन् 1974 में स्थापित, तथा राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान (भारत सरकार) नई दिल्ली तथा कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय द्वारा क्रमशः मान्यता प्राप्त श्री कुन्दकुन्द भारती जैन शोध संस्थान नई दिल्ली ने प्राकृत भाषा एवं जैन साहित्य के प्रकाश तथा प्रचार-प्रसार में पिछले लगभग तीन दशकों में अभूतपूर्व कार्य किया है। संस्थान ने सन् 1995 से श्रुतपंचमी पर्व को प्राकृत भाषा दिवस के रूप में मनाये जाने का भारत व्यापी आन्दोलन किया तथा उसके उत्साहवर्धक परिणाम भी सम्मुख आये हैं। कुन्दकुन्द भारती ने सर्वप्रथम अनुभव किया कि भारत सरकार ने मध्यकालीन भारतीय आर्यभाषाओं 70 0 प्राकृत रत्नाकर
SR No.002287
Book TitlePrakrit Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherRashtriya Prakrit Adhyayan evam Sanshodhan Samsthan
Publication Year2012
Total Pages430
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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