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________________ विविधता - सम्पन्न है तथा उनकी कलिकालसर्वज्ञ उपाधि को चरितार्थ करता है। निम्नलिखित ग्रंथ प्रमाणिकरूप से हेमचन्द्ररचित माने जाते हैं - (1) सिद्धहेमशब्दानुशासन, (2) योगशास्त्र, (3) कुमारपालचरित या द्वयाश्रयकाव्य, (4) छन्दोऽनुशासन, (5) काव्यानुशासन, (6) कोषग्रंथ - अभिधानर्चितामणि, अनेकार्थ शब्दसंग्रह, निघंटु तथा देशीनाममाला, (7) त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित, (8) वीतरागस्तुति, (9) द्वात्रिंत्रशिका तथा, ( 10 ) प्रमाणमीमांसा। इनमें से अनेक पर हेमचन्द्र ने संक्षिप्त या विस्तृत वृत्तियां व टीकाएं भी लिखी हैं। यह समय वाङ्मय उनकी बहुमुखी प्रज्ञा एवं सर्वग्राहिणी विद्वत्ता का ज्वलन्त प्रमाण है। 453. हेमचन्द्र मलधारी मलधारी हेमचन्द्रसूरि विक्रम की 12वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध के एक महान प्रभावक राजमान्य महापुरुष और ग्रन्थकार आचार्य हुए हैं। वे प्रश्नवाहन कुल की मध्यम शाखा के हर्षपुरीय गच्छ के आचार्य मलधारी अभयदेवसूरि के प्रमुख शिष्य एवं पट्टधर थे। मलधारी आचार्य हेमचन्द्रसूरि की तीन प्रमुख शिष्य थे विजय सिंह, श्रीचन्द्र और विबुधचन्द्र । उनमें से श्रीचन्द्र उनके पट्टधर आचार्य थे। हेमचन्द्रसूरि अपने समय के एक समर्थ प्रवचन पारगामी व्याख्याता थे। वियाहपण्णत्ति (भगवतीसूत्र) जैसा विशालकाय आगम उन्हें कण्ठस्थ था । उन्होंने अपने अध्ययनकाल में मूल आगमों, भाष्यों एवं आगमिक ग्रन्थों के साथ-साथ व्याकरण, न्याय साहित्य आदि अनेक विषयों का तलस्पर्शी अध्ययन किया था। मलधारी हेमचन्द्र ने अनेक ग्रन्थों की रचना की । विशेषावश्यकभाष्य पर टीका उनका सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कार्य है। उन्होंने वि.सं. 1164 की चैत्र शुक्ला 4 सोमवार को अणहिल्लपुर पत्तन में सिद्धराज जयसिंह के राज्यकाल में 'जीवसमासवृत्ति' की रचना की। 384 प्राकृत रत्नाकर 000
SR No.002287
Book TitlePrakrit Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherRashtriya Prakrit Adhyayan evam Sanshodhan Samsthan
Publication Year2012
Total Pages430
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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