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________________ ज्ञानमुद्रा के प्रकार : १.१ ज्ञानध्यान मुद्रा : दोनों हाथों से ज्ञानमुद्रा करके, बायें हाथ की हथेली पर दाहिने हाथ की हथेली रखकर, पद्मासन या सुखासन करते हुए, दोनों हाथ नाभि के पास रखकर ज्ञान-ध्यान मुद्रा बनती हैं। लाभ : ज्ञानमुद्रा के सभी लाभ होते हुए ध्यानाभ्यासी को ध्यान में ज्यादा प्रगति होती है। १.२ ज्ञान वैराग्य मुद्रा : दाहिने हाथ से ज्ञानमुद्रा करके हृदय के पास आनंदकेन्द्र (अनाहत चक्र) के पास रखते हुए, बायें हाथ से ज्ञानमुद्रा करके बायें घुटने पर रखते हुए ज्ञान - वैराग्य मुद्रा बनती हैं। लाभः • ज्ञान मुद्रा के सभी फायदे के साथ इस मुद्रा से कोई भी व्यक्ति संसार में रहते हुए वैराग्यपूर्ण और निष्पाप जीवन जी सकता है ।
SR No.002286
Book TitleMudra Vignan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNilam P Sanghvi
PublisherPradip Sanghvi
Publication Year
Total Pages66
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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