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[६] के व्यक्तियों और ग्रन्थों का यथासम्भव भेद प्रकट करने का विशेष यत्न किया है, पुनरपि कहीं कहीं सम्मिश्रण होने की संभावना है। ___ इस ग्रन्थ के मुद्रण-पत्र (=प्रूफ) संशोधन का कार्य श्री ओङ्कारजी ने किया है। कार्याधिक्य तथा अस्वस्थता के कारण मैं मुद्रण-पत्रों का संशोधन नहीं कर सका । इस कार्य के लिये मैं श्री प्रोङ्कार जी का आभारी हूं। इसी प्रकार सूचियों के निर्माण में श्री शिवपूजनसिंह.जी कुशवाह ने जो सहयोग दिया है उसके लिये उनका भी मैं प्राभारी
विदुषां वशंवद:युधिष्ठिर मीमांसकः