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संस्कृत व्याकरण-शास्त्र का इतिहास विश्वामित्र (ऋषि) I. ८६,२४॥ विश्वेश्वर तर्काचार्य I. ६३७,२४॥ विश्वेश्वरनाथ रेऊ I. ३७०.२४॥ विश्वेश्वर भट्ट-द्र० 'विश्वेश्वर सूरिं' शब्द । विश्वेश्वर वाजपेयी (वासुदेव वाजपेयी का अग्रज) I. ६०१,२६॥ 'विश्वेश्वर, विश्वेश्वर सूरि (भट्ट) (व्या० सि• सुधानिधिकार)
.....५१६,२१५४०,१६ HI. १८६,१२११८७,१५॥ विश्वेश्वरानन्द शोध संस्थान (अनुसन्धान विभाग) होशियारपुर
I. ४६१,२६। II. १३८,१८।२६६,६।२७८,१०।२८१,३॥
३०७.२४।३७८,१७४३८०,१७। विश्वेश्वराब्धि (अद्वय सरस्वती का शिष्य) I. ७०६,१२। विषमादित्य (=विक्रमादित्य) I. ३९४,२६। विष्ण (द्वादस आदित्यान्तर्गत) I. ८७,२१॥ विष्णुगुप्त चाणक्य I. २१,२५॥ विष्णुगुप्त (राजा) II ६४,२॥ विष्णपुत्र (विष्णु मंत्र को पाठा०) II. ३७९१०॥ विष्णमित्र (ऋक्प्रा० व्याख्याता) H.१४,२०२१६२८०,२०॥
____II. ३७०-३८१ तक । विष्णुमित्र (क्षीरोद-कार) I. ४४०,२११४४१,४४४५,२८॥ विष्णमिश्र (सुपद्म व्याख्याता) I ७२०१८।। विष्णुशेष' (शेषवंशीय पण्डितः) II. ३१७,१६।३१८.१॥ विहीनर (=वहीनर) ३.३३३,१३। वीरनन्दी (अभयनन्दी का शिष्या) I.६६३,२१६६४। वीर पाण्डय II. F१,५॥ वीर राघव कवि (ते० प्रा० व्याख्याताः) II. ४००,२५॥ वी० राघवन एम० ए० I. ५२१,१७।६१५,२४१ II. २३२,२३॥ वीरवर (महाराजा) I. ५६१,२४। वीर संवत् (महावीर संपत्) I.६७३११॥ वीरेश्वर' (=रामेश्वर शेषवंशीय) I.-४३५२६१४४०,५४४५४, १. 'शेषविष्णु' शब्द। .
२. कोण्डभट्ट ने वैयाकरणभूषणसार में इसका स्मरण 'सर्वेश्वर' नाम से किया है।