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________________ (३८) ६-६८ द्रव्यार्थिक १-८३, ४-१४१; ९-१६७, १७० द्विसमयाधिकावली द्रव्यार्थिकनय ४-३, १४५, १७७, ३२२, द्विस्कन्ध द्विबाहू क्षेत्र ४-१८७, २१८ ३३७, ४४४, ७-३, १३, ८-३, १०-२२, द्विस्थान दण्डक ८-२७४ ४५०; १६-४८५ द्विस्थान बन्धक ११-३१३ द्रव्यार्थिकप्ररूपणा ४-२५९ द्विस्थानिक १५-१७४; १६-५३९ द्रव्याल्पबहुत्व ५-२४१ द्विस्थानिक अनुभागबन्धक ६-२१० द्रव्यासंख्यात ३-१२३ विस्थानिक अनुभागवेदक ६-२१३ द्रव्येन्द्रिय १-२३२ विस्थानिक अनुभाग सत्कर्मिक ६-२०९ द्वन्दसमास द्विस्थानी ८-२४५,२७२ द्वादशाङ्ग द्वीन्द्रिय १-२४१, २४८, २६४, ७-६४; द्विगुणाश्रेणिशीर्ष १५-२९७ ८-९; १४-३२३ द्विगुणाहानि ६-१५३ ___ द्वीन्द्रियकार्मणाशरीरबन्ध १४-४३ द्विगुणाविकरण ३-७७, ८१, ११८ द्वीन्द्रियजाति द्विगुसमास ३-७ द्वीन्द्रिय जातिनाम १३-३६७ द्विचरमसमानवृद्धि ९-३४ द्वीन्द्रियतैजसकार्मणाशरीरबन्ध १४-४३ द्वितीय दण्ड ७-३१३, ३१५ द्वीन्द्रियतैजसशरीरबन्ध १४-४३ द्वितीय दण्डस्थिति द्वीन्द्रिय-त्रीन्द्रियशरीरबन्ध १४-४३ द्वितीय पृथिवी ४-८९ . द्वीन्द्रियशरीर १४-७८ द्वितीय संग्रहकृष्टिअन्तर ६-३७७ द्वीप १३-३०८ द्वितीय स्थान ११-११३ द्वीपसागरप्रज्ञप्ति १-११०;९-२, ६ द्वितीय स्थिति ६-२३२, २५३ द्वीपायन १२-२१ द्वितीयाक्ष ७-४५ १२-२८३ द्विपद १३-३९१ द्वयर्धगुणाहानि ६-१५२ द्विप्रदेशीय परमाणु पुद्गल द्रव्यवर्गणा १४-५५ धन ४-१५९; १०-१५० द्विप्रदेशीय वर्गणा २४-१२२ धनुष द्विमात्रा १४-३२ धरणी २३-२४३ द्विरूपधारा धरणीतल ४-२३६ ४-७२ द्वेष ध
SR No.002281
Book TitleShatkhandagam ki Shastriya Bhumika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2000
Total Pages640
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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