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________________ (१८) उपपादयोग ४-३३२; १०-४२० उपपपादराशि ४-३१ उपपादस्पर्शन ४-१६५ उपभोगत: आत्तपुद्गल १६-५१५ उपभोगान्तराय १५-१४ उपमालोक ४-१८५ उपयुक्त १३-३९० उपयोग १-२३६; २-४१३ उपरिमउपरिमग्रैवेयक ४-८० उपरिम निक्षेप ६-२२६ उपरिम राशि ५-२४९, २६२ उपरिमवर्ग ३-२१, २२, ५२ उपरिम विकल्प ३-५४,७७,४-१८५ उपरिमविरलन ३-१६५, १७२ उपरिमस्थिति ६-२२५, १७२ उपरिमस्थिति ६-२२५, २३२ उपलक्षणा ९-१८४ उपवास १३-५५ उपशम १-२११; ५-२००, २०२, २०३; ___ २११, २२०; ७-९, ८१ उपशमश्रेणी ४-३५१, ४४७, ५-११, १५१; ६-२०६, ३०५; ७-८१ उपशमसम्यक्त्व ७-१०७ उपशमसम्यक्त्वगुणा ४-४४ उपशमसम्यक्त्वगुणाश्रेणि १५-१९७ उपशमसम्यक्त्वाद्धा ४-४४, ३३९, ३४१, ३४२, ३७४, ४८३, ५-१५, २५४ उपशमसम्यग्दर्शन - ३९५ उपशमसम्यग्दृष्टि १-१७१; ७-१०८; ८-३७२; १०-३१५ उपशमक ८-२६५ उपशमिकअविपाकप्रत्ययजीवभावबंध १४-१४ उपशमिकचारित्र १४-१५ उपशमिकसम्यक्त्व १४-१५ उपशान्त १२-३०२; १५-२७६ उपशान्तकषाय १-१८८, १८९; ७-५, १४, ८-४ उपशान्तकषायवीतरागछद्यस्थ १४-१५ उपशान्तकषायाद्धा ५-१९ उपशान्तकाल ४-३५३ उपशान्तक्रोध १४-१४ उपशान्तदोष १४-१४ उपशान्तमान १४-१४ उपशान्तमाया १४-१४ उपशान्तराग १४-१४ उपशामक ४३-५२, ४४६ ५-१२५, २६०, ६-२३३ ७-५ उपशामकअध्यवसान १६-५७७ उपशामकाद्धा ५-१५९ १६० उपशामनवार १०-२९४ उपशामना १०-४६; १५-२७५ उपशामनाकरण १०-१४४ उपसंहार ८५७, १०-१११ २४४, ३१० उपादानकरण ७६९; ९००४ १०७
SR No.002281
Book TitleShatkhandagam ki Shastriya Bhumika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2000
Total Pages640
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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