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मूडविद्री के 'गुरुवसदि' के भट्टारक श्री चारुकीर्ति स्वामी जिनकी परम्परा-भंजक उदारता के फलस्वरूप षट्खंडागम का संशोधन और प्रामाणिक प्रकाशन संभव हुआ।
ताडपत्रीय प्रतियों को शताब्दियों से गर्वपूर्वक संरक्षण और सुरक्षा दे रहा मूड़विद्री में 'सिद्धांत वसदि' मंदिर जहां 'गुरुवसदि नाम से मूल भट्टारक-गद्दी सदियों से चली आ रही है।