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________________ २९८ षट्खंडागम की शास्त्रीय भूमिका myfarer (Logarithm) धवला में निम्न पारिभाषिक शब्दों के लक्षण पाये जाते हैं - (१) अर्धच्छेद - जितनी बार एक संख्या उत्तरोत्तर आधी-आधी की जा सकती है, उतने उस संख्या के अर्धच्छेद कहे जाते हैं। जैसे - २ म के अर्धच्छेद = म अर्धच्छेद का संकेत अछे मान कर हम इसे आधुनिक पद्धतिमें इस प्रकार रख सकते हैं - क का अछे (या अछे क) = लरि क । यहां लघुरिक्थ का आधार २ है । (२) वर्गशालाका - किसी संख्या के अर्द्धच्छेद उस संख्या की वर्गशलाका होती है। जैसे - क की वर्गशालाका = वश क : अछे अछे क = लरि लरि क । यहां लघुरिक्थ का आधार २ है। (३) त्रिकच्छेद २ - जितने बार एक संख्या उत्तरोत्तर ३ से विभाजित की जाती है, उतने उस संख्या के त्रिकच्छेद होते हैं। जैसे- क के त्रिकच्छेद = त्रिछे क = लरि ३ का यहां लघुरिक्थ का आधार ३ है। (४) चतुर्थच्छेद ३ - जितने बार एक संख्या उत्तरोत्तर ४ से विभाजित की जा सकती हैं, उतने उस संख्या के चतुर्थच्छेद होते हैं । जैसे - क के चतुर्थच्छेद = चछे क = लरि ४ क । यहां लघुरिक्थ का आधार ४ है । धवला में लघुरिक्थसंबंधी निम्न परिणामोंका उपयोग किया गया है - (१) लरि/(म/न) = लरि म - लरि न (२) लरि (म.न) : लरि म + लरि न (३) ५ २ लरि म - म। यहां लघुरिक्थ का आधार २ है । (४) ६ लरि (कक)२ : २ क लरि क (५) " लरि लरि (कक)२ - लरि क + १ + लरि लरि क, (वाई ओर ) : लरि (२ क लरि क) १ धवला भाग ३, पृ. २१. आदि २ धवला भाग ३, पृ. ५६. ३ धवला, भाग ३, पृ. ५६. ४ धवला, भाग ३, पृ. ६०. ५धवला, भाग ३, पृ. ५५. ६धवला, भाग ३, पृ. २१ आदि ७ पूर्ववत्
SR No.002281
Book TitleShatkhandagam ki Shastriya Bhumika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2000
Total Pages640
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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