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________________ डॉ. हीरालाल जैन स्मृति ग्रंथ डॉ. हीरालाल जैन प्राच्यविद्या के विशिष्ट क्षेत्र जैन सिद्धान्त तथा संस्कृत, प्राकृत और अपभ्रंश भाषा-साहित्य के अप्रतिम और समर्पित विद्वान थे। प्राच्य भारतीय इतिहास, संस्कृति, भाषा - शास्त्र और पुरातत्व तथा शिलालेखीय साहित्य की सर्वाधिक जटिल दिशा में उनकी उपलब्धि अद्वितीय है। डॉ. हीरालाल जैन की जन्मशताब्दी राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित की जा रही है। जन्म शतवार्षिक कार्यक्रमों का समापन ५ अक्टूबर २००० को आयोजित है। दूसरी सहस्राब्दि की अंतिम सदी के ऋषि की स्मृति में शताब्दी समारोह समिति सात सौ पृष्ठों का स्मृति ग्रंथ तैयार कर रही है। परम पूज्य उपाध्याय श्री ज्ञानसागर जी के आशीर्वाद और इच्छानुसार प्राच्य श्रमण भारती मुजफ्फरनगर (उ.प्र.) द्वारा ग्रंथ के प्रकाशन - व्यय की व्यवस्था की जा रही है। स्मृति ग्रंथ के माध्यम से डॉ. जैन के व्यक्तित्व, जीवन और शिक्षा जगत के उनके वृहत्तर परिवार से सम्बद्ध उन अनछुये और अज्ञात पहलुओं को उजागर किया जायेगा जो उनके भव्य व्यक्तित्व और दिव्य चेतना के कारक तत्वों को ऊर्जस्वित करते थे। ग्रंथ का महत्वपूर्ण भाग उनकी कृतियों का मूल्यांकन और उनकी चिंतनधारा की मीमांसा होगा। स्मृति ग्रंथ, प्राच्यविद्या, जैन सिद्धान्त और दर्शन तथा भारतीय संस्कृति के महत्वपूर्ण घटक के रूप में श्रमण परंपरा से सम्बद्ध ज्ञानविज्ञान और आचार सम्बन्धी उच्च स्तरीय सामग्री के साथ संदर्भ ग्रंथ की गरिमा से समृद्ध होगा । मध्यकालीन आर्यभाषा की साहित्यिक परंपरा और जैन चिंतन की वैज्ञानिकता स्मृतिग्रंथ के उल्लेखनीय अनुसंधान परक खण्ड होंगें।
SR No.002281
Book TitleShatkhandagam ki Shastriya Bhumika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2000
Total Pages640
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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