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________________ शब्द-सूची के संकेत (क) शब्द-सूची के प्रत्येक पृष्ठ के धाम तथा दक्षिण पार्श्व में क्रमशः उस पृष्ठ के आदि तथा अन्तवाले शब्द [ ] इस कोष्ठ के अन्तर्गत लिखित हैं, इससे शब्द खोजनेवालों को शब्दोपलब्धि में विशेष सुविधा होगी। (ख) प्रत्येक शब्द-सूची में कहीं भी प्रथम या द्वितीय अक्षर तक ही अकारादिक्रम न रखकर प्रत्येक शब्द में आदि से अन्त तक अकारादि क्रम रखने का पूर्णतया ध्यान रखा गया है। (ग) मूलस्थ शब्द-सूची--पहले मूल में कथित शब्दों के प्रातिपदिकावस्था के रूप तथा बाद में काण्डों तथा श्लोकों की संख्याएँ दी गयी हैं। यथा-'अ' शब्द ६ष्ट काण्ड के १७५ वें श्लोक में उपलब्ध होगा । इसी प्रकार सर्वत्र समझना चाहिए। (घ) शेषस्थ शब्द-सूची-पहले 'शेष' में आनेवाले शब्दों के प्राति- . पदिकावस्था का रूप तथा बाद में पृष्ठ एवं पंक्ति (मलस्थ श्लोकों की पंक्तियों को छोड़कर 'मणिप्रभा'. व्याख्या से पंक्तिगणना करनी चाहिए) की संख्या दी गयी है। विशेष-जिस शब्द के अंत में 'परि० १' के बाद में संख्या है, 'वह शब्द 'परिशिष्ट १ में लिखित क्रमसंख्या में उपलब्ध होगा, ऐसा समझना चाहिए । यथा-'अक्षज' शब्द ६२ वें पृष्ठ के 'मणिप्रभा' व्याख्या की २१ वीं पंक्ति में मिलेगा। तथा 'अर्शोन्न' शब्द परिशिष्ट १ के क्रमाङ्क ९ में उपलब्ध होगा। यही क्रम सर्वत्र है। । (ङ) 'मणिप्रभा' व्याख्या, विमर्श तथा टिप्पणी के शब्दों की सूची-इसमें भी शब्दों के प्रातिपदिकावस्था के रूप के बाद पृष्ठ तथा पंक्तियों की संख्या (पूर्ववत् मूलश्लोकों की पंक्तियों की संख्या छोड़कर यहाँ भी 'मणिप्रभा' व्याख्या से ही पंक्ति-गणना करनी चाहिए ) दी गयी है। यथा'अंशुपति' शब्द ८ वें पृष्ठ की 'मणिप्रभा' ब्याख्या के ९वीं पंक्ति में मिलेगा। इसी प्रकार आगे भी जानना चाहिए।
SR No.002275
Book TitleAbhidhan Chintamani
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Hargovind Shastri
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1966
Total Pages566
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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