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________________ (४०) ६५०००-७००-२४०० ६५-७००-२४ ७००४२४ = १६८०० ६५)१६८००(१७६ ७३० ६६५ ६५० | 99০ . ८० १७६- ८०/६५ योजन शिखा तरफ गौतम द्वीप की जलवृद्धि होती है । जम्बूद्वीपदिश्यमुष्य, राशेरर्द्ध जलोच्छ्यः । युक्तश्चैष सहस्राणां, द्वादशानामतिक्रमे ॥२०५॥ ततः पूर्वोक्तस्य राशो यदिदमास्थितम् । अष्टाशीतिर्योजनानि, चत्वारिंशत्तथा लवाः ॥२०६॥ जम्बू द्वीप की ओर की दिशा से अर्थात् गौतम द्वीप की ओर दिशा में पानी की ऊंचाई आधी होती है वह युक्त है, क्योंकि चौबीस हजार योजन में से बारह हजार योजन जाने के बाद इस गौतम द्वीप के जम्बूद्वीप तरफ की दिशा आती है इससे वहां ८८- ४०/६५ योजन की जल वृद्धि होती है । (२०५-२०६) इयान्जम्बू द्वीप दिशि,द्वीपस्यास्योच्छ्यो जलात्। शिखादिगुदितद्वीपोच्छ्रयः क्रोशद्वयाधिकः ॥२०७।। शिखा की दिशा तरफ कहे गौतम द्वीप की ऊंचाई में दो कोस बढ़ाते जम्बूद्वीप की दिशा की ओर पानी से द्वीप की पूर्व कही ऊंचाई आती है । (२०७) त्रिंशत्पन्चनवत्यंशाः षड्विंशा शतयोजनी ।। भूनिम्नताऽस्मिन् पर्यन्ते, द्वि गुणा च शिाखादिशि ॥२०८॥
SR No.002273
Book TitleLokprakash Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandrasuri
PublisherNirgranth Sahitya Prakashan Sangh
Publication Year2003
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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