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• तथा समृद्धि से रहित नौ प्रकार के कहे हैं- १- क्षेत्र आर्य, २- जाति । आर्य, ३- कुल आर्य, ४- कर्म आर्य, ५- शिल्प आर्य, ६- ज्ञान आर्य, ७- भाषा आर्य, ८- चारित्र आर्य और ६- दर्शन आर्य। (३६) । तत्र च...... क्षेत्रार्या आर्यदेशात्थास्ते सार्धा पंचविंशतिः । .
अंगा बंगा कलिंगाश्च मगधाः कुरु कोशलाः ॥२७॥ काश्यः कुशार्ताः पंचाला विदेहा मलयास्तथा । वत्साः सुराष्ट्रः श्यान्डिल्या वराटा वरणास्तथा ॥२८॥ दशार्णा जंगला वेद्यः सिन्धु सौवीरका अपि । भंग्यो वृत्ताः सूरसेनाः कुणाला लाट संज्ञकाः ॥२६॥ के कयामिमे सार्ध पंचविंशतिरीरिताः । . नामानि राजधानीनां ब्रवीम्येषु क मादथ ॥३०॥ .
इसमें जो आर्य देश में उत्पन्न हआ हो वह क्षेत्र आर्य कहलाता है । आर्यः सार्धपच्चीस देश हैं । वह इस प्रकार- १- अंग, २- बंग, ३- कलिंग, ४- मगध, ५- कुरु,६- कोशल,७- काशी,८- कुशात,६- पंचाल, १०- विदेह, ११- मलय, १२- वत्स, १३- सुराष्ट्र, १४- शांडिल्य, १५- वराड, १६- वरण, १७- दर्शाण, १८- जंगल, १६- वेदी, २०- सिंधु सौवीर, २१- भंगी, २२- वृत्त, २३- सूरसेन, २४- कुणाल, २५- लाट तथा आधा केकय देश । अब इन देशों की राजधानी के नाम अनुक्रम से कहते हैं। (२७-३०) .
चम्पा तथा ताम्रलिप्ती स्यात्कांचन पुरं पुरम् । राजगृहं गजपुरं साकेतं च वराणसी ॥३१॥ शौर्यपुरं च कांपिल्यं मिथिला महिलपुरम् । कौशाम्बी च द्वारवती नन्दिवत्साभिधे पुरे ॥३२॥ अच्छापुर मृत्तिकावत्यहिच्छत्राभिधा पुरी । शुक्ति मती वीतभयं पापा माषापुरं पुरम् ॥३३॥ माथुरा नगरी चैवश्रावस्ती नगरी वरा । .
कोटि वर्ष श्वेताम्बिका राजधान्यः क्रमादिकाः ॥३४॥
१- चम्पापुरी, २- ताम्रलिप्ती, ३- कांचनपुर, ४- राजगृह, ५- गजपुरहस्तिनापुर, ६- साकेतपुर, ७- वाराणसी, ८- शौर्यपुर, ६- कांपिल्यपुर, १०- मिथिला, ११- भद्दिलपुर, १२- कौशाम्बी, १३- द्वारिका, १४- नंदिपुर,