SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 30
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( xxix ) सं० १०१ क्र० विषय श्लोक | क्र० विषय श्लोक सं० सं० १३७ वचन योग और भाषा बीच १३५३ | ११ भव स्थिति और काय स्थिति ७३ एकता (द्वार ७-८) . १३८ भाषा के चार प्रकार १३५६ | १२ शरीर (द्वार-६) ६४ १३६ सत्य भाषा के दस प्रकार १३६१-१ १३ संस्थान, देहमान और समुद ,६६ १४० असत्य भाषा के दस प्रकार १३७८ घात (द्वार १०-१२) १४१ मिश्र भाषा के दस प्रकार १३८१ | १४ गति और आगति १४२ व्यवहार भाषा के चार प्रकार १३६५ (द्वार १३-१४) १४३ (३२) जीवों का प्रमाण १४१० १५ अन्तराप्ति और समय सिद्धि १२० १४४ (३३) जीवों की स्वज्ञाति १४११ | (१५-१६) . की अपेक्षायें, अल्प-बहुत्वं . | १६. लेश्या, दिगाहार, सहनन, १२१-१२६ १४५ (३४) दिशा की अपेक्षायें, १४१२ . कषाय, संज्ञा, इन्द्रिय, असंज्ञी, वेद अल्प-बहुत्व (१७-२४ द्वार) १४६ (३५) अपनी जाति उत्पन्न १४१३ | १७ मिथ्यादृष्टि आदि १२७ - होने के जघन्य और उत्कृष्ट अन्तर _ (२५-२८ द्वार) १४७ (३६) भव संवेध - १४१४ / १८. सूक्ष्म जीवों को आहार (२६) १३१ . .१४८ (३७) महान अल्प-बहुत्व १४१६ /१६ गुण स्थान, योग और मान १३४ चौथा सर्ग (३०-३२) १ संसारी जीवों की अलग-अलग २ २० जघन, अल्प-बहुत्व (३३) १४२ विवक्षायें २१ दिशा के आश्रयो अल्प-बहुत्व १४६ २ मांडी के अनेक प्रकार तथा अन्तर (३४-३५) ३ एकेन्द्रिय मार्गणा का स्वरूप पाँचवा सर्ग ४ सूक्ष्म एकेन्द्रिय . . १ बादर एकेन्द्रिय, व्याख्या और १. ५ जीव के स्वरूप और भेद उसके पृथ्वीकाय आदि छः भेद ६ निगोद का स्वरूप इनके प्रत्येक के भेद (द्वार-१) ५ ७ व्यवहार राशि और अव्यवहार ५७ वनस्पति के विषय में जीव तत्व ३० राशि का स्वरूप की प्रतीति ८ जीव का स्थान (द्वार-२) ६८ ४ साधारण वनस्पति के लक्षण ७५ है जीवों की पर्याप्ति, योनी, कुल ६६ | ५ भेद संख्या ६ प्रत्येक वनस्पति के लक्षण १० संवृतत्वादि चार द्वार (३-६) ६६ | ७ भेद २
SR No.002271
Book TitleLokprakash Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandrasuri
PublisherNirgranth Sahitya Prakashan Sangh
Publication Year2003
Total Pages634
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy