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________________ (xxviii) सं० ८७० ८८२ क्र० विषय श्लोक | क्र० विषय . श्लोक सं० सं० पद अज्ञान ११२ आहार के तीन प्रकार १०६६ .६० तीन प्रकार ८७१ | ११३ (३०) गुण स्थान .. ११३१ ६१ - मतिज्ञान का विषय ८७६ | ११४ चौदह गुण स्थान के नाम ११३२ ६२ श्रुत ज्ञान का विषय | ११५ पहले गुण स्थान का स्वरूप ११३४ ६३ अवधि ज्ञान का विषय ८६० | ११६ दूसरे गुण स्थान का स्वरूप ११४१ ६४ मनः पर्यवज्ञान का विषय ६२४ | ११७ तीसरे गुण स्थान का स्वरूप. ११५४ ६५ केवल ज्ञान का विषय ६३४ ११८ चौथे गुण स्थान का स्वरूप ११५६ ६६ तीन अज्ञान का विषय ६३७ ११६ पाँचवे गुण स्थान का स्वरूप ११६१ प्रत्यक्ष और परोक्ष प्रमाण ६४४ १२० छठे गुण स्थान का स्वरूप. ११६३ ६८ छ: दर्शनवालों ने इसे माना, ६५६ | १२१ सातवें गुण स्थान का स्वरूप ११६६ भिन्न-भिन्न प्रमाण १२२ आठवें गुण स्थान का स्वरूप ११६७ ६६ मतिश्रुत आदि ज्ञानों का ६६१ १२३ नवमें गुणं स्थान का स्वरूप ११८७ सहभाव १२४ दशमें गुण स्थान का स्वरूप ११६४ १०० ज्ञान और दर्शन का क्रम ६७४ १२५ ग्यारवें गुण स्थान का स्वरूप ११६७ १०१ पाँचों प्रकार के ज्ञान का ६८३ | १२६ बारहवें गुण स्थान का स्वरूप १२१६ स्थिति काल १२७ तेरहवें गुण स्थान का स्वरूप १२४८ तीन अज्ञान का स्थिति काल ६८३ | १२८ चौदहवें गुण स्थान का स्वरूप१२६१ १०३ इन सबका अन्तर और १००३ | १२६ चौदह गुण स्थानक में मृत्यु १२७७ अल्प-बहुत्व . प्राप्त होने के विषय में १०४ ज्ञान और अज्ञान का १०१२ १३० उन-उन-गुण स्थानों पर १२८१ सर्वपर्याय और पर पर्याय प्राणियों को अल्प-बहुत्व १०५ (२६) दर्शन १३१ उन-उन गुण स्थानों की काल १२८८ १०४६ स्थिति १०६ चार प्रकार १०५४ १३२ उन-उन गुण स्थानों के बीच १२६८ १०७ (२८) उपयोग १०७४ में अन्तर १०८ (२६) आहार १०७६ १३३ (३१) योग १३०४ १०६ आहारी और अनाहारी का १०७६ १३४ तीन प्रकार के योग में १५ १३०४ स्वरूप प्रकार है ११० संघात और परिशाट का १०८७ १३५ सात प्रकार के काय योग १३०५ स्वरूप १३६ मन और वचन के चार-चार १३३६ १११ वक्र गति के चार प्रकार १०६६ । योग १०२
SR No.002271
Book TitleLokprakash Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandrasuri
PublisherNirgranth Sahitya Prakashan Sangh
Publication Year2003
Total Pages634
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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