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(श्री वीतरागाय नमः का
श्री विनयविजय जी उपाध्याय विरचित
लोकप्रकाश
भाग-१ (द्रव्यलोक) सर्ग - १ से ११ तक
हिन्दी भाषानुवादक प० पू० आचार्य देव श्रीमद् विजय पद्म चन्द्र सूरीश्वर जी म० मा०
प्रकाशक
श्री निर्ग्रन्थ साहित्य प्रकाशन संघ श्री आत्मानंद जैन बालाश्रम भवन, हस्तिनापुर (मेरठ) उ० प्र०।
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