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________________ रचनाकार प्रकाशक क्र० | सांकेतिक नाम स्वयं० स्तो० भ०आ०,मूलारा० रत्न०मा० का०अनु० ,कार्तिके० स०सि० स०भ० सतं० (वसुनन्दि-श्रावकाचार पूर्ण नाम | स्वयम्भू स्त्रोत । | भगवती आराधना रत्नमाला कार्तिकेयानुप्रेक्षा सर्वार्थसिद्धि समाधिभक्त (दशभक्ति) समाधितंत्र परमात्मप्रकाश तत्त्वार्थराजवार्तिक धवला पुस्तक महापुराण आत्मानुशासन गोम्मटसार जीवकाण्ड आ० समन्तभद्र भारतवर्षीय अनेकान्त विद्वत् परिषद्, लुहारिया आ० शिवकोटी सखाराम दोशी, सोलापुर, १९३५ ।। आ० शिवकोटी आ० स्वामि कार्तिकेय | राजचन्द्र ग्रन्थमाला, आगास १९६० आ० पूज्यपाद भारतीय ज्ञानपीठ, बनारस, १९५५ आ० पूज्यपाद बुन्देलखण्ड स्याद्वाद परिषद्, टीकमगढ़ आ० पूज्यपाद टोडरमल स्मारक ट्रस्ट, जयपुर आ० योगीन्दु/जोइन्दु राजचन्द्र ग्रन्थमाला, वि०सं० २०१७ आ० अकलंक भट्ट कलकत्ता,१९२९ | आ० वीरसेन अमरावती | आ० जिनसेन भारतीय ज्ञानपीठ, बनारस, १९५१ • आ० गुणभद्र। अजिताश्रम, लखनऊ, १९२८ आ० नेमिचन्द्र सिद्धान्त चक्रवर्ती | जैन सिद्धान्त प्रकाशिनी संस्था, कलकता (३४४) प०प्र० त०रा० २७. | ध० पु० २८. म०पु० २९. आ०शा० गो० जीव० आचार्य वसुनन्दि ३० ।
SR No.002269
Book TitleVasnunandi Shravakachar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSunilsagar, Bhagchandra Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1999
Total Pages466
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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