SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 325
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री मांगीलालजी छाजेड़ के पिताजी आदि तीन भाईयों श्री केशरीमलजी छाजेड़जी के बड़े भ्राता श्रीनाथजी थे एवं छोटे भाई श्री मयाचन्द्रजी थे। श्री केसरीमलजी छाजेड़ के दो पुत्ररत्न थे। एक श्री मांगीलालजी व श्री भागचन्दजी एवं श्री मायाचन्द्र के एक पुत्र थे श्री बालचन्द्रजी छाजेड़ 'मास्टर' साहित्यरत्न थे। श्री मांगीलालजी छाजेड़ श्री नाथाजी के दत्तक हैं। अपने छोटे भ्राता श्री भागचंदजी छाजेड़ हैं, इनके श्री रमेशचन्द्र आदि ६ पुत्र हैं एवं अन्य ४ पुत्रियाँ है। सम्पूर्ण परिवार धार में श्री मांगीलालजी छाजेड़ के मार्गदर्शन में व्यवसाय में लगा है। यहाँ पर श्री छाजेड़जी के धार्मिक कृत्यों का ही विवरण संक्षेप में दिया है। व्यवहार का पक्ष लिखा जाए तो एक ग्रन्थ तैयार हो जाए। आप धार नगरपालिका के कई पदों को सुशोभित करा चुके हैं। नगरपालिका के वित्त समिति के चेयरमेन पद को भी : सुशोभित कर चुके हैं। आज श्री छाजेडजी अपने जीवन के ८० वें बसन्त में प्रवेश कर रहे हैं। शरीर वृद्धावस्था का जरूर है, किन्तु विचार कार्य शैली आज भी युवकों से कई गुना अधिक है। श्री छाजेड़जी का चिन्तन समाज के लिए गौरवान्वित करता है.एवं समाज सेवा की भावना वालों के लिए मार्गदर्शक है। .. . श्री छाजेड़जी को मालवांचल के ओसवाल कुल के दिवाकर कहे तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। हम इस मंगलमयी शुभ बेला में भी परम कृपाल गुरुदेव भगवन्त से करबद्ध प्रार्थना करते हैं, श्री छाजेड़जी को शतायु बनाए और इनके मार्गदर्शन में तीर्थ विकास की चहुंमुखी योजनाएं चलती रहे। एक बार फिर श्री छाजेड़जी का हार्दिक अभिनन्दन करते हुए यह कामना करते हैं। गुरुदेव आपको शतायु दे एवं
SR No.002268
Book TitleGunanurag Kulak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayprabhvijay
PublisherRajendra Pravachan Karyalay
Publication Year1997
Total Pages328
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy