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घेटी, परबड़ी, चारोडिया, मोटा लीलिया, अमरेली, मोटा-आकड़िया, कुकावाव, चूड़ा, राणपर, वडाल, जूनागढ़, गिरनारजी, जेतपुर, गोमटा, गोंडल, वीलियारुं, रीबड़ा, कोठारियु, राजकोट, खोराणा, सिंधावदर, बांकानेर, जाली, लूणसर (री) दाधोडियुं, सरा, कोंढ, जीवा, धांगधा, गाला, धरमठ, देहगाँव, ओडु, झींझवाड़ा, धामा, आदरियाणा, शंखेश्वर, मुजपर, हारिज रोड, जमणपर, अडिया, कूणझर, पाटण, सागोडिया, कल्याणा, मेत्राणा, सिद्धपुर, समोडा, लूणवा, वीठोडी, कोदराम, चाणशूल, डभोड़ा, वरठा, 'तारंगातीर्थ, टेबा, भालुसणा, ऊमरी, नागरमोरिया, दांता-भवानगढ़, कुम्भारिया, अम्बावजी, वीरमगाम, भोयणी, खंभाच, सूरत, रांदेर, सायण, खीमचोकी, बोढाण, खोलवण, झगडियातीर्थ, डभोई, इत्यादि। ग्रंथमाला -
संवत् १९७८ से आपने श्री राजेन्द्रसूरि-जैन ग्रंथ माला नाम की ग्रंथमाला प्रकाशित करना आरंभ (शुरू) की। इस ग्रंथमाला के अब तक - १ श्रीकर्मबोध-प्रभाकर, २. राइदेवसिय-प्रतिक्रमण, ३. जन्म-मरण-सूतक निर्णय, ४. स्त्री शिक्षण - हिन्दी, ५. श्री पंचप्रतिक्रमण (फुटनोट सहित), ६. राजेन्द्रसूरि गुणाष्टक-संग्रह, ७. राइदेवसियपडिक्कमण (बड़े अक्षर), ८. पीतपटाग्रह-मीमांसा और निक्षेप निबंध, ९. संक्षिप्त - जीवन चरित्र (श्रीधनचन्द्रसूरिजी का), १०. अष्टप्रकारी पूजा (श्री राजेन्द्रसूरिजी की), ११. जीव भेदनिरूपण - हिन्दी, १२. सप्तव्यसन - परिहार, १३. सविधि साधु पंचप्रतिक्रमण सूत्राणि, १४. श्री जैन रहस्यम्,.१५ जिनेन्द्रगुणगान लहरी, १६. जिनगुण मंजूषा (चतुर्थ भाग), १७. उमेद अनुभव (दूसरा, तीसरा संस्करण), १८. जैनर्षिपटनिर्णय, १९. एक सौ आठ बोल का थोकड़ा, २०. जैन सुबोध (प्रथम भाग), २१. अध्ययन चतुष्टय (दशवकालिक सूत्र के शुरू के चार