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________________ __13 291 8c अस्मा तोरिद अहंप्रत्ययगम्य अहं सुखीति महरहब्रह्म अहेतुफलभावे महो बत वराको 580 268 276 452 324 450 588 328 336 आने हि चक्षुषा आयात्यपि न त आर्ष धर्मोपदेश अविनाशकद्भाव आस्तां वा प्रत्यभि आस्तां विधिपदे आस्तामेवैष आहारपरिणाम आ ! ज्ञात युक्ति आभासता वचन आभासभेद 83 - आ 345 285 323 543 543 har . 431 - -27 210 295 449 537 89 .66 551 122 345 425 556 446 276 267 29 262 7 129 359 आकांक्षादि आकांक्षादीनि आकारद्वय आकाशातिशयो आख्यातात् साध्यता आख्यातानां तु आगमरत्वेष आज्ञा हि नाम - आतिवाहिक ' . अत्रमाने विज आत्मने चत आत्मन्यग्नीन् आत्मानमात्मना . आस्मैवत्वस्ति आद्यमेव हि आदृतमस्खलित आधाराधेय आधारोधिकरणम् भानन्त्यव्यभि. मानुषङ्गिकानि मान्तरं वासनारुप आपः पवित्र 91 91 इच्छाद्वेष प्रयत्नादि इतरे चप्यसाधुत्व इतिकर्तव्यतांशे इति कबलने इतिकर्तव्यता ज्ञेया इतिकर्तव्यता हीष्टा इति चर्मपिनद्ध इति निपुणधिया इति निपुणमतियों इति प्रमाणत्व इति प्रमाणानि इति विततया इति वितनुतः इतीद व्याख्याते इत्यक्षपादामि इत्यादिदूषणौदार्य इत्थं च (चारी) 449 386 429 68 24 241 48 602 262 184 414 677 439 43 21 260 352,693
SR No.002266
Book TitleNyayamanjari Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK S Vardacharya
PublisherOriental Research Institute
Publication Year1983
Total Pages794
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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