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________________ वृहद् शान्तिः-स्तोत्र .५१ ॐ श्रीऋषभ, अजित, सम्भव, अभिनन्दन, सुमति, पद्मप्रभ, सुपार्श्व, चन्द्रप्रम, सुविधि, शीतल, श्रेयांस, वासुपूज्य, विमल, अनन्त, धर्म, शान्ति, कुन्थु, अर, मल्लि मुनिसुव्रत,नमि, नेमि, पार्व, वर्द्धमान एते वर्तमान जिनाः। - ॐ श्रीपद्मनाभ, शूरदेव, सुपार्श्व, स्वयंप्रम,सर्वानुभूति देवश्रुत, उदय, पेढाल, पोट्टिल, शतकीर्ति, सुव्रत, अमम, निष्कषाय, निष्पुलाक, निर्मम, चित्रगुप्त, समाधि, संवर, यशोधर, विजय, मल्लि, देव, अनन्तवीर्य्य, भद्रं कर, एते भावि-तीर्थंकराः जिनाः शान्ताः शान्तिकरा भवन्तु । ॐमुनयो मुनिप्रवरा रिपुविजय-दुर्भिक्षकान्तारेषु दुर्ग-मार्गेषु रक्षन्तु वो नित्यम् । ॐ श्रीनामि, जितशत्रु, जितारि, संवर, मेघ, धर, प्रतिष्ठ, महसेन, सुग्रीव, दृढरथ, विष्णु, वसुपूज्य, कृतवर्म, सिंहसेन, मानु, विश्वसेन, सूर, सुदर्शन, कुम्भ, सुमित्र, विजय, समुद्रविजय, अश्वसेन, सिद्धार्थ, इति वर्तमान-चतुर्विंशति-जिन-जनकाः । ___ ॐ श्री मरुदेवी, विजया, सेना, सिद्धार्था, सुमंगला, सुसीमा, पृथ्वीमाता, लक्ष्मणा, रामा, नन्दा, विष्णु, जया, श्यामा, सुयशा, सुव्रता, अचिरा, श्री, देवी, प्रभावती, पद्मा, वप्रा, शिवा, वामा, त्रिशला, इति वर्तमान-जिनजनन्यः । ___ॐ श्री गोमुख, महायक्ष, त्रिमुख, यक्षनायक, तुम्बुरु
SR No.002264
Book TitleStotra Ras Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitprabhsagar, Chandraprabhsagar, Bhanvarlal Nahta
PublisherSiddhiraj Jain
Publication Year1986
Total Pages148
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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