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________________ ११७ स्तोत्र-रास-संहिता नयर पावापुर सुरमहिय ॥३२|| पेसियो ए गोयम सामि देवसमा प्रतिबोध करे; आपणो ए तिसला देवि, नंदन पुहतो परमपए । वलतो ए देव आकाश, पेखवि जाण्यो जिण समए, तो मुनि ए मन विखवाद, नाद भेद जिम ऊपनो ए ॥३३|| इण समे ए सामिय देखि, आप कनासु टालियो ए जाणतो ए तिहुअण नाह, लोक विवहार न पालियो ए। अतिमलो ए कीधलो सामि जाण्यो केवल केवल मागसे ए, चिन्तव्यो ए बालक जेम, . अहवा केडे लागसे ए ||३४|| हुँ किम ए वीर जिणंद, भगतिहि भोले भोलव्यो ए, आपणो ए ऊँचलो नेह, नाह न संपइ साचव्यो ए, साँचो ए वीतराग, नेह न हेजे लालियो ए । तिणसमे ए गोयम चित्त, राग वैरागे वालियो ए ॥३५|| आवतो ए जो उल्लट्ट, रहितो रागे साहियो ए, केवल ए नाण उप्पन्न, गोयम सहिज़ ऊमाहियो ए। तिहुअणए जयं जयकार केवल महिमा सुर करे ए, गणधरु ए करय बखाणः मविया भव जिम निस्तरे ए ॥३६॥ वस्तु॥ पढमं गणहर पढम गणहर बरस पच्चास गिहवासें संवसिय, तीस बरस संजम विभूसिय, सिरि केवल नाण पुणः बार बरस तिहुअण नमंसिय । राजगृही नयरी ठव्यो बाणवइ बरसाउ, सामी गोयम गुणनिलो, होसे सिवपुर ठाउ ॥ ३७ ।। भास ॥ जिम सहकारे कोयल टहुके, जिम कुसुमावन परिमल महके, जिम चन्दन सोगंध निधि । जिम गंगाजल
SR No.002264
Book TitleStotra Ras Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitprabhsagar, Chandraprabhsagar, Bhanvarlal Nahta
PublisherSiddhiraj Jain
Publication Year1986
Total Pages148
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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