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स्तोत्र-रास-संहिता
बंधन तूटे वेडी तणा श्री पार्श्वनाम अक्षर स्मरणा ॥४७॥ (दूहा) श्री पार्श्वनाम अक्षर जपे, विश्वानर विकराल । हस्ती जूथ दूरे टले, दुद्धर सिंह सियाल ||४८|| चोर तणा भय चूकवे, विष अमृत उड़कार । विषधरनो विष ऊतरे संग्रामें जय जयकार ॥४९|| रोग सोग दारिद्र दुख, दोहग दूर पुलाय । परमेसर श्री पासनो, महिमा मन्त्र जपाय ॥५०॥ (कडखानी चाल) उंजितुं उजितुंउजि उपसम धरी, ॐ ह्रीं श्री श्री पार्श्व अक्षर जपते। भूत ने प्रेत झोटिंग व्यन्तर सुरा, उपसमे वार इकवीस गुणते. (उ०) ||१|| दुद्धरा रोग सोग जरा जंतने ताव एकान्तरा दुत्तपते । गर्मबन्धन व्रणं सर्प विछु विषं, चालिका बालमेवा झखते (उ०) ||५२|| साइणी डाइणी रोहणी रंकणी, फोटका मोटका दोष हुंते। दाढ़ उंदरतणी कोल नोला तणी, स्वान सीयाल विक-- राल दंते ॥५३॥ (उ०) धरणेन्द्र पद्मावती समरं सोमावती वाट आघाट अटवी अटते। लखमी लोदु मिलें सुजस वेला उलै, सयल आस्या फले मनहसंतै (उ०) ||५४|| अष्ट महाभय हरें कानपीड़ा टलै ऊतरै सूल सीसग भगंते । वदत वर प्रीतसुं प्रीतिविमल प्रभु, श्री. पास जिण नाम अभिराम मन्ते (उंजित) ॥५५॥ ..