________________
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.।
४२ सम्बन्ध-दर्शन-अरिहंत और हम है। पर्यायों (forms) के परिवर्तन की यह वैज्ञानिक प्रक्रिया (Scientific Process) कितनी वास्तविक है, इसे युग की चुनौती ने सिद्ध कर दिया। विज्ञान ने इसी सिद्धांत को वरदान के रूप में पाया और प्रगट किया। ४. कायोत्सर्ग मुद्रा
प्रभु की कायोत्सर्ग मुद्रा आपने कभी देखी है ? इस मुद्रा में पद्मासन में बैठकर बाँयी हथेली पर दाहिनी हथेली को गोलाई में घुमाकर नाभि से सटाकर रखा जाता है। आप जानते हो अरिहंत-परमात्मा ने क्यों इस मुद्रा को अपनाया ? इस तरह हथेलियों को ठीक गोलाई में रखने से नाभि के भीतर उठती तरंगों और हथेलियों की तरंगों में एक लयबद्धता आती है। हथेलियों के मुड़कर अर्द्ध गोलाई में बदल जाने से उठने वाली तरंगें मानसिक एकाग्रता बढ़ाती हैं; और वातावरण को शुद्ध बनाती हैं। समग्र तंत्र को स्थिरता, शांति और समाधि प्रदान करने में कायोत्सर्ग मुद्रा अतीव महत्वपूर्ण सहयोग . देती है। खड़े रहकर किये जाने वाले कायोत्सर्ग में पैरों को अंगुलियों के पास आठ अंगुल के फासले में और एड़ी के पास चार अंगुल के फासले में रखे जाते हैं। ___ दोनों पैरों के बीच में इस निश्चित फासले की नियमितता के बारे में भी विज्ञान ने खोज की और परमात्मा के इस वैधानिक रहस्यों को खोला। इस प्रकार खड़े रहने से हमारे शरीर का वजन पैर के अगले हिस्से पर अधिक रहता है। ऐसा होने से शरीर के संतुलन की समग्रता सुचारु एवं व्यवस्थित होती है। Strait ritress के अनुसार व्यक्ति की इस मुद्रा से वह हृदय रोग से बच सकता है। हृदय रोग के अधिकांश व्यक्ति अपने शरीर का वजन पैर के पिछले हिस्से यानी एड़ियों पर अधिक देते हैं। जब कि अगले हिस्से पर वजन आने से काफी शिकायतें अपने आप हल हो जाती हैं। वन्दना नमस्कार की मुद्रा में इन हिस्सों पर अधिक दबाव पड़ता है। .
मनोविज्ञान के अनुसार इस मुद्रा से हमारा अन्य पर प्रभाव पड़ता है परंतु हम पर अन्य का प्रभाव नहीं पड़ सकता है। साथ ही यह मुंद्रा मानसिक एकाग्रता बढ़ाने में भी सहायक सिद्ध होती है। ५. आभामंडल
प्रत्येक व्यक्ति के पीछे एक आभामंडल होता है और यह मंडल वृत्ताकार ही होता है। आभामंडल व्यक्ति की भावनाओं का समीकरण है। यह स्वयं प्रभावक भी है और प्रभावित भी है फिर भी Occult Science के अनुसार इसके दो प्रकार होते हैं- एक Halo और दूसरा Aura.. ____Halo यह महान व्यक्तियों के पीछे गोलाकार रूप में पीले रंग में चक्राकार रूप होता है। यह वर्तुलाकार मंडल अत्यंत तेजस्वी और प्रभावक होता है। केन्द्रस्थान से यह दक्षिणावर्त होता है।