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अरिहंत की आवश्यकता वैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य में ३३ इसके पीछे एक लेन्स होता है जिसे convex lens कहते हैं। इसके पिछले भाग में एक पर्दा होता है जिसे रेटीना (Retina) कहा जाता है। इस रेटिना का सम्बन्ध प्रकाश नाड़ी (Optic Nerve) द्वारा मस्तिष्क से होता है। आँख में दो तरह के द्रव्य-पदार्थ हैं। लेन्स और रेटिना के बीच में Vitreous Humour नाम का द्रव्य है, पुतली और लैन्स के बीच में Aqueous Humour नाम का द्रव्य है। __ वस्तु की प्रकाश किरणें कोर्निया पर पड़ने पर उल्टा प्रतिबिम्ब बनाती हैं। यह प्रतिबिम्ब प्रकाश नाड़ी द्वारा विद्युत धारा के रूप में मस्तिष्क तक पहुँचता है। वहाँ यह सीधा हो जाता है और वस्तु हमें दिखाई देने लगती है। किसी भी वस्तु का प्रतिबिम्ब
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आँख के सामने से हटाने के बाद भी १/१६ सेकण्ड तक आँखों के पर्दे पर रहता है। यदि दो घटनाएँ १/१६ से पहले गुजरती हैं तो वे हमें क्रमबद्ध दिखाई देती हैं। सिनेमा के दृश्यों को इसी कारण १६ चित्र प्रति सेकण्ड के हिसाब से दिखाया जाता है। अतः कोई भी दृश्य हमें लगातार चलता हुआ दिखता है। परमात्मा द्वारा प्रस्तुत विधान के अनुसार साढ़े तीन हाथ जगह आगे देखने से १/१६ सेकण्ड ही हम उस जगह का पैरों से स्पर्श करते हैं अतः हम हमारी सुरक्षा और अन्य जीवों की रक्षा में सफल रह सकते हैं। __ इन आँखों के दृष्टि अक्ष (visual axes) बदलते रहने से कोई भी एक वस्तु एक आँख से भी एक और दो आँखों से भी एक ही दिखाई देती है। ____ शरीर में आँखें दो हैं। एक आँख से भी वस्तु हमें एक ही दिखाई देती है और दोनों आँखों से भी एक ही। इसका कारण है कि आँखों के दृष्टि-अक्ष (visual axes) बदलते रहते हैं और दोनों आँखों से देखते समय मस्तिष्क रेटिना पर बने हुए वस्तु के प्रतिबिम्बों को मिलाकर एक कर देता है। इस प्रकार आँखों का पदार्थ और मस्तिष्क के साथ बराबर संपर्क बना रहता है।