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________________ २५३-२६१ गणधर नामकर्म गणधर का महत्व गणधर की प्रवृत्ति दार्शनिक परम्परा में त्रिपदी का महत्व एवं गौरव त्रिपदी की दृष्टि से पदार्थों का पर्यवेक्षण गणधर पद प्रधान-विधि तीर्थ और तीर्थकर विश्व व्यवस्था संघ व्यवस्था अध्याय-९ निर्वाण कल्याणक १. अंतिम देशना एवं अनशन अंतिम समवसरण : अनेक श्रमणों के साथ किसी विशेष पर्वत पर गमन पर्यकासन में योगविधि __. अनशन का स्वरूप २. योग से अयोग की ओर योग-निरोध की प्रक्रिया शैलेशीकरण-गुणश्रेणी सर्वथा मुक्ति : सिद्ध स्थान की प्राप्ति सर्वलोक में अंधकार ३. निर्वाण महोत्सव इन्द्रागमन-तीन चिताएँ-जिन-शिबिकाअग्नि संस्कारअवशेष वस्तुओं का ग्रहण और ग्रहण के उद्देश्य अरिहंत विरह-असह्य शोक दिगम्बर मान्यता-देह अदृश्य परिशिष्ट सहायक-ग्रंथ-सूची २६३-२७६ [३१]
SR No.002263
Book TitleArihant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyaprabhashreji
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year1992
Total Pages310
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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