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२६८ परिशिष्ट ५७. श्री धर्मसंग्रह (पूर्वभाग)
(संस्कृत) ५८. धर्मसंग्रहणि .
(संस्कृत) ५९. नमस्कार स्वाध्याय
(प्राकृत) ६०. नमस्कार स्वाध्याय
(संस्कृत) २१. नवतत्व प्रकरण
(प्राकृत, गुजराती)(सार्थ) ६२-६३. निशीथ सूत्रम् (प्राकृत)
(प्रथम, तृतीय विभाग) ।
उपाध्याय श्री मानविजयप्रणीत संशोधक, पन्यास श्री आनंदसागर विक्रम संवत् १९७१। हरिभद्रसूरि विरचित, आचार्य मलयगिरि प्रणीत टीका देवचन्द लालभाई जैन पुस्तकोद्धार, सूरत। जैन साहित्य विकास मंडल ई. स. १९६१ । जैन साहित्य विकास मण्डल। ई. स. १९६२ । प्रकाशक : श्री जैन श्रेयस्कर मण्डल, म्हेसाणा, सन् १९३४ । श्री विसाहगणिमहत्तरप्रणीतम् श्री जिनदासमहत्तर विरचित चूर्णि सम्पादक : उपाध्याय कवि श्री अमरमुनिजी, मुनिश्री कन्हैयालाल "कमल" सन्मति ज्ञानपीठ, लोहामण्डी आगरा, ई. स. १९५८ । . ग्रंथकार श्री हरिभद्रसूरि स्वोपज्ञ व्याख्या देवचन्द्र लालभाई जैन पुस्तकोद्धार ई. स. १९२७ । पू. श्री चन्द्रर्षिमहत्तरप्रणीत स्वोपज्ञवृत्ति आचार्य मलयगिरिकृत वृत्ति, संपादक-आचार्य विजयप्रेमसूरि प्रकाशक : मुक्ताबाई ज्ञान मंदिर, उभाई (गुजरात) सं. १९९३. श्री चंद्रर्षिमहत्तराचार्यविरचित : मलयगिरि कृत टीका सहित : अनुवादक : हीरालाल देवचंद, संपादक-पं. पुखराजजी अभीचंदजी कोठारी, श्री जैन श्रेयस्कर मण्डल-महेसाणा सन् १९७१. चिरंतनाचार्य कृत : श्री हरिभद्रसूरि कृत टीका परथी अनुवादक, प्रकाशक : श्राविका समाज, भावनगर, संवत् १९८३.
६४. पंचवस्तुकग्रंथ .
(प्राकृत)
६५. पंचसंग्रह (प्राकृत)
(कर्मप्रकृति द्वितीय विभाग)
६६-६७ पंचसंग्रह (प्रथम खण्ड)
(द्वितीय खण्ड) (प्राकृत)
६८. पंचसूत्रम् (प्राकृत)