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चतुर्दशः सर्गः
७६. इति वदति सुमन्त्रे मन्त्रिणि स्वरमुच्चेवृषभ जनतनूजौ पूर्णपुण्योदयाढ्यौ । समरभुवि ततज्ये' कार्मुके आददाते, प्रमुदित विजयश्री चित्ररेखानुकारे ॥
इस प्रकार सुमंत्र मंत्री ने स्पष्ट रूप से सारी बातें बताईं । ऋषभदेव के पुण्यशाली दोनों पुत्र - भरत और बाहुबली, प्रत्यंचा ताने हुए और प्रमुदित विजयश्री की चित्ररेखा जैसे धनुष्यों को धारण कर समर-भूमी में आये ।
- इति सैन्यद्वयसमागमवर्णनो नाम चतुर्दशः सर्गः -
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१. ततज्ये - तता - विस्तृता, ज्या - मार्वी, ययोस्ते ततज्ये ।