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________________ २७७ . जैन दर्शन में सम्यक्त्व का स्वरूप शुक्ल, डा. नलिनी -पातंजल योगशास्त्र का विवेचनात्मक एवं तुलनात्मक अध्ययन, प्रथमावृत्ति, आगरा : शक्तियोगाश्रम, १९७६. संघवी, पं. सुखलाल ( संपा. मालवणिया दलसुख ) -जैन धर्मनो प्राण, प्रथमावृत्ति, बम्बई : रसिकभाई डाह्याभाई । व्होरा, १९६२. -दर्शन और चिन्तन, प्रथम संस्करण, अहमदाबाद : गुजरात विद्या सभा, १९५७. -भारतीय तत्त्व विद्या, द्वित्तीय संस्करण, बड़ौदा : महाराजा . सयाजीराव विश्वविद्यालय, १९७१. सिद्धान्तशास्त्री, बालचन्द्र -जैन लक्षणावली, भाग १-२ प्रथमावृत्ति, दिल्ली : वीर सेवा मंदिर १९७२-१९७३. सुराना श्रीचंद 'सरस' ( संपा.) ले अशोकमुनि -सम्यग्दर्शन एक अनुशीलन, प्रथमावृत्ति, व्यावर : जैन दिवाकर .. दिव्य ज्योति कार्यालय, १९८१. सेठिया, भैंरोदान (संग्रा.) -श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह, द्वित्तीयावृत्ति १९४९. . बीकानेर : जैन पारमार्थिक संस्था -TATIA NATHMAL Studies in Jain Phylosophy, Banaras : Jain Sanskrity Sanshodhana Mandal, 1951.
SR No.002254
Book TitleJain Darshan me Samyaktva ka Swarup
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurekhashreeji
PublisherVichakshan Smruti Prakashan
Publication Year1988
Total Pages306
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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