________________
२५८.
जैन दर्शन में सम्यक्त्व का स्वरूप নিয়ম -कुंदकुंदाचार्य सम्पादक ब्र. शीतल प्रसाद .
बम्बई : जैन ग्रन्थ रत्नाकर कार्यालय, प्रथमावृत्ति, १९१६. निशीथसूत्र घृणि सह भाग १-४. -विसाह गणि, चूर्णि. जिनदास महत्तर, सम्पादकः ‘अमर मुनि कन्हैयालाल मु.
आगरा : सन्मति ज्ञानपीठ, प्रथम संस्करण, १९५८. न्यायदर्शन सभाष्य
-सम्पादक शास्त्री दुण्ढिराज
वाराणसी : चौखम्बा संस्कृत सीरिज, द्वित्तीय संस्करण, १९७०. पंचसंग्रह -चन्द्रमहत्तराचार्य सम्पादक जैन, पं. हीरालाल..
काशी : भारतीय ज्ञानपीठ, प्रथमावृत्ति, १९६०. पंचमूत्रम् -चिरन्तनाचार्य
व्यावर : जैन साहित्य प्रचार समिति, प्रथम- संरकः ण, १९६०. पंचाध्यायी -पं. कवि राजमल्ल सम्पादक फूलचन्द्र सिद्धान्तमाही
बनारस : गणेशप्रसाद वर्णी जैन ग्रन्थमाला प्रथम संस्करण, १९५०. पंचास्तिकायसार-कुंदकुंदाचार्य -सम्पादक चक्रवर्तिनयनर ए. आरा : सेन्ट्रल जैन पग्लिशिंग ।
हाउस, १९२० पण्णवणा सुत्त भाग १-२. • सम्पादक पुण्यविजय मु., मालवणिया दलसुख, मृतलाल
बम्बई : महावीर जैन विद्यालय, प्रथम संस्करण, १५२५, १९२७.. पुरुषार्थसिद्धयुपाय
-अमृतचन्द्रसूरि सम्पादक अनु. रेवा शंकर ज. बम्बई : निर्णय सागर, द्वित्तीयावृत्ति, १९१४,