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________________ पाठ २४ प्रथमा विद्वान् कवी कुलपति इकारान्त एवं उकारान्त संज्ञा शब्द (पु.) : अर्थ एकवचन बहुवचन सुधि = सुधी सुधिणो कवि = कवि कविणो कुलवइ = कुलवई कुलवइणो सिसु = बच्चा सिसू सिसुणो साहु = साधु साहू साहुणो उदाहरण वाक्य : एकवचन सुधी उवदिसइ विद्वान् उपदेश देता है। कवी पत्तं लिहई कवि पत्र लिखता है। कुलवई दव्वं गिण्हई = . कुलपति धन ग्रहण करता है। सिसू तत्थ खेलइ. = . बच्चा वहाँ खेलता है। साहू पण्हं पुच्छइ = साधु प्रश्न पूछता है। बहुवचन सुधिणो उवदिसन्ति विद्वान उपदेश देते हैं। कविणो लिहन्ति कवि लिखते हैं। कुलवइणो किं गिण्हन्ति = कुलपति क्या ग्रहण करते हैं? सिसुणो तत्थ खेलन्ति :: = बच्चे वहाँ खेलते हैं। साहुणो किं पुच्छन्ति = साधु क्या पूछते हैं? शब्दकोश (पु.) : सेट्टि · = सेठ नाणि = ज्ञानी -हत्थि = हाथी . पक्खि = पक्षी • जोगि = योगी उदहि = समुद्र तरु = वृक्ष मुणि = मुनि भिक्खु = भिक्षु धणु = धनुष 'सवस्सि. = तपस्वी . पिउ = पिता पसु = पशु भूवइ = राजा पहु = स्वामी बाहु = भुजा गहवइ . = मुखिया रिउ = शत्रु फरसु= कुल्हाड़ा प्राकृत में अनुवाद करिए : तपस्वी कहाँ तप करता है? राजा क्रोध नहीं करता है। मुखिया प्रशंसा करता है। ज्ञानी लिप्त नहीं होता है। पक्षी प्रतिदिन उड़ता है। शत्रु निन्दा करता है। धनुष टूटता . है। वृक्ष गिरता है। निर्देश : इन्हीं वाक्यों के बहुवचन में प्राकृत के वाक्य बनाइये। गुरु = खण्ड १
SR No.002253
Book TitlePrakrit Swayam Shikshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year1998
Total Pages250
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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