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________________ राया : [ अह णवर तत्थ दोसो जं मयण- वियारा दीसंति अह णवर तत्थ दोसो जं इलिज्जत समीरण-वसेण वसन्तवण्णय : फलिह - सिलायलम्मि तरुणीण । बाहिर - ठिएहि विजहिं ॥६२/१ ॥] तत्थेरिसम्मि भुवण- पवित्थरिय-जसो णीसेस-गुणावगूहिय-सरीरो । राया सालाहो णाम ॥ ६४ ॥ जो सो अविग्गहो विहु सव्वंगावयव - सुंदरो सुहओ । दुदंसणो वि लोयाण लोयणाणंद-संजणणो ॥ ६५ ॥ J . कुवई वि वल्लहो पणइणीण तह णयवरो वि साहसिओ । परलोय - भीरुओ वि हु वीरेक्क- रसो तह च्चेय ॥६६॥ सूरो वि ण सत्तासो सोमो वि कलंग - वज्जिओ णिच्वं I भोई वि ण दोजीहो तुंगो वि समीव-दिण्ण- फलो ॥६७॥ बहुलंत - दिसु ससि व्व जेण वोच्छिण्ण-मंडल - णिवेसो ठविओ तणुयत्तण-दुक्ख-लक्खिओ रिउ-जणो ॥ ६८ ॥ णिय- तेथ-पसाहिय-मंडलस्स ससिणो व्व जस्स लोएण 1 अक्कंत- जयस्स ज़ए पट्टी ण परेहि सच्चविया ॥६९ ॥ ओसहि-सिहा-पिसंगाण वोलिया गिरि-गुहासु जस्स पयावाणल-कंति-कवलियाणं - पिव आलिहियइ जो वम्महणिभेण णिय-वास-भवण भित्तीसु । लडह-विलयाहिं णह-मणि-किरणारुणियग्ग- हत्थेहिं ॥ ७१ ॥ रयण 1 रिऊणं ॥ ७० ॥ हियए च्चेय विरायंति सुइर - परिचिंतिया वि सुकईण । जेण विणा दुहियाण व मणोरहा कव्व - विणिवेसा ॥ ७२ ॥ णयरें खण्ड १ वियसिय- कुसुम - रेणु-पडले । घर-चित्त भित्तीओ ॥६३॥ इय तस्स महा - पुहईसरस्स इच्छा - कुसुमसराउह-दूओ व्व आगओ सुयणु पढमागय-मलयाणिल-पिसुणियं बहुलच्छलंत-कोइल-रवेण साहंति व पत्थाणं पहुत्त-विहवस्स । महु-मासो ॥ ७३ ॥ वसंतस्स । वाई ॥ ७४ ॥ १७३
SR No.002253
Book TitlePrakrit Swayam Shikshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year1998
Total Pages250
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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