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________________ पुरिसे AA संज्ञाशब्द १३. संज्ञा शब्दों में विभिन्न विभक्तियों में विकल्प से कई रूप बनते हैं। प्रयोग की दृष्टि से कुछ उदाहरण यहाँ प्रस्तुत हैं: पुल्लिंग संज्ञा शब्द विभक्ति एकवचन बहुवचन प्र. पुरिसो = पुरिसे पुरिसा = पुरिसे पुरिसा = . पुरिसेण = पुरिसेणं पुरिसेहि = पुरिसेहि पुरिसस्स पुरिसाय पुरिसाण = पुरिसाणं छुट्टणस्स छुट्टणाय (छूटने के लिए) सयणस्स सयणाय (सोने के लिए) भोयणस्स भोयणाय (भोजन के लिए). वहस्स वहाय (वध के लिए) परिहाणस्स = परिहाणाय (पहिनने के लिए) पुरिसत्तो = पुरसाओ पुरिसाहित्तो = पुरिसाहि . . सीलतो. = सीलाउ - - - पुरिसाण. = पुरिसाणं .. ___ स. पुरिसे = पुरिसम्मि पुरिसेसुः = पुरिसेसु . : पु. इकारान्त, उकारान्त शब्दों के चतुर्थी एवं षष्ठी विभक्ति में ये वैकल्पिक रूपं बनते हैं:सामिणो सामिस्स पिउणो पिउस्स गुरुणो = गुरुस्स १४. स्त्रीलिंग संज्ञा शब्दों में निम्नांकित परिवर्तन ध्यान देने योग्य हैं :एकवचन बहवंचन, आकारान्त- प्र. - मालाओ = मालाउ Hari तृ. से स. मालाए . = मालाइ मालाहि = मालाहिं ईकारान्त एवं प्र. द्वि. नईओ = नईउ उकारान्त तृ. से स. नईए = नईया - पं. नईए = नइत्तो - १५. नपुंसकलिंग संज्ञाशब्दों में प्र. एवं द्वि. विभक्ति के बहुवचन में वैकल्पिक रूप प्रयुक्त होते हैं। यथानेत्ताणि = नेत्ताई मुहाणि = मुहाई वस्थाणि = वत्थाई भोगाणि = भोगाई कमलाणि = कमलाई नयराणि = नयराइं १४४ प्राकृत स्वयं-शिक्षक
SR No.002253
Book TitlePrakrit Swayam Shikshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year1998
Total Pages250
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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