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________________ क्रियातिपत्ति के प्रयोग : तुमं झाणेण पढेज्जा अण्णहा सहलं ण होज्जा । जइ अहं कम्मं ण करेज्जा सा धणं ण लज्जा । जइ समयम्मि वेज्जो ण आगच्छेज्जा ता णिवो गच्छेज्ज भणेज्ज नमज्ज १३४ अवस्सं मरेज्जा । = जया दीवो जोज्जा तया अंधयारो नस्सेज्जा | आयासे जया विज्जुला चमक्केज्जा तया मेहा वरसेज्जा । जइ मग्गम्मि पयासो होन्तो ता अम्हे खड्डुम्मि ण पडन्तो । = " = " = " = उ. पु. म.पु. अ. पु. पढेज्ज, पढेज्जा, पढन्तो, पढमाणो, पढेज्ज, पढ़ेज्जा, पढन्तो, पढमाणो करेज्ज एकवचन बहुवचन हसेज्ज, हसेज्जा, हसन्तो, हसमाणो हसेज्ज, हसेज्जा, हसन्तो, हसमाणो "1 " 12 " " " ८६ तुम ध्यान से पढ़ो अन्यथा सफल नहीं होओगे । यदि मैं कर्म नहीं करूं तो धन नहीं मिलेगा । यदि समय पर वैद्य नहीं आता तो राजा अवश्य मर जाता । जब दीपक होता है तब अन्धकार नष्ट हो जाता है। 2. आकाश में जब बिजली चमकती है. रतब बादल बरसते हैं। • . यदि मार्ग में प्रकाश होता तो हम खड्डे में गिरते । जाज्ज होज्ज, होज्जा, होन्तो, होमाणो, होज्ज, होज्जा, होन्तो, होमाणो णेज्ज झाज्ज प्राकृत में अनुवाद करो : यदि तुम वहाँ जाते तो सब जान जाते । यदि हम पहले आ जाते तो अवश्य उनको देखते । यदि मेरे पास धन होता तो मैं विदेश यात्रा करता। रावण यदि शील की रक्षा करता तो राम उसकी रक्षा करते। यदि वहाँ तालाब न होता तो गाँव जल जाता । प्राकृत स्वयं-शिक्षक
SR No.002253
Book TitlePrakrit Swayam Shikshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year1998
Total Pages250
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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