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________________ पाठ ८४ ४. प्रेरणार्थक क्रिया के अन्य प्रयोग : (क) कर्तृवाच्य सामान्य क्रियाएँ अहं सीसेण पढावेमि = मैं शिष्य से पढ़वाता हूँ। तुमं मए पढावेसि _ = तुम मुझसे पढ़वाते हो।। अम्हे तुमए पढावीअ = हमने तुमसे पढ़ावाया। . ते बालाहि पढाविहिति = वे बालिकाओं से पढ़वायेंगे। सो तेण पढावउ = वह उससे पढ़वाये। . कृदन्त क्रियाएँ तेण पढाविऊण __= उससे पढ़वाकर। . मए लिहाविऊण __= मुझसे लिखवाकर। तुमए पढाविउं = तुमसे पढ़वाने के लिए। छत्तेण लिहाविउं __ = छात्र से लिखवाने के लिए। सीसेण पढावणीअ = शिष्य से पढ़वाने योग्य। बालाए लिहावंतो = बालिका से लिखवाता हुआ। तेण पढावमाणो = उससे पढ़वाता हुआ। मए लिहाविओ = मुझसे लिखवाया हुआ। तुमए पढाविस्संतो = तुमसे पढ़वाया जाने वाला। (ख) कर्म एवं भाव वाच्य मए छत्तेण पोत्थअं पढावीअइ = मेरे द्वारा छात्र से पुसतक पढ़वायी जाती है। निवेण तेण घडो कराविज्जीअ = राजा के द्वारा उससे घड़ा बनवाया गया। गुरुणा बालाए णच्चाविहिइ = गुरु के द्वारा बालिका से नचवाया जायेगा। तुमए तेण पढाविज्जउ = तुम्हारे द्वारा उससे पढ़वाया जाय। कृदन्त प्रयोग तेण पढावीअंतो गंथो = उससे पढ़वाया जाता हुआ ग्रंथ । मए लिहाविअं पत्तं = मुझसे लिखवाया गया पत्र। तेण पढाविस्समाणी गाहा = उससे पढ़वायी जाने वाली गाथा । छत्तेण लिहावणीअं पोत्थअं = छात्र से लिखवाने योग्य पुस्तक । प्राकृत में अनुवाद करो : ___ राजा नौकर से कार्य करवाता है। गुरु शिष्य से लिखवाता है । युवती बालिका से नृत्य करवाती है ।तुमने उससे पत्र लिखवाकर भेजा। पुत्र पिता से पुस्तक खरीदवाने के लिए रोता है। यह गाथा शिष्य से पढ़वाने योग्य नहीं है। यह पत्र उसके द्वारा लिखवाया हुआ है। १३० प्राकृत स्वयं-शिक्षक
SR No.002253
Book TitlePrakrit Swayam Shikshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year1998
Total Pages250
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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