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________________ पाठ ४८ णयर णयराहिंतो घर घराहितो. खेत्त सत्थाहिंतो' . दहि . अ, इ, एवं उकारान्त संज्ञा शब्द (नपुं.) : पंचमी = से शब्द पंचमी एकवचन बहुवचन णयरत्तो फल फलतो फलाहितो पुष्फ पुप्फत्तो पुप्फाहितो कमल कमलत्तो ... कमलाहिंतो . घरत्तो खेत्तत्तो खेत्ताहितो सत्थ सत्थत्तो वारि वारित्तो वारीहितो.. दहित्तो दहीहितो वत्थु वत्थुत्तो वत्थूहितो उदाहरण वाक्य : एकवचन बालओ णयरत्तो दूरं गच्छइ = बालक नगर से दूर जाता है। फलत्तो रसं उप्पन्नइ = . फल से रस उत्पन्न होता है। .. पुष्फत्तो सुबंधो आयइ फूल से सुगन्ध आती है। कमलत्तो वारिं पडइ कमल से पानी गिरता है। .. सो घरत्तो धणं णेइ वह घर से धन ले जाता है। .. खेत्तत्तो धनं उप्पन्नइ खेत से धान्य उत्पन्न होता है। सो सत्थत्तो विरमइ वह शास्त्र से दूर रहता है। वारित्तो कमलं णिस्सरइ = पानी से कमल निकलता है। दहित्तो घयं जायइ दही से घी बनता है। अहं तत्तो वत्थुत्तो दुगुञ्छामि = मैं उस वस्तु से घृणा करता हूँ। प्राकृत में अनुवाद करो : ___ वह आदमी नगर से जाता है। मैं पानी से डरता हूँ। तुम दही से घृणा करते हो। फल से सुगन्ध आती है। वह खेत से धन प्राप्त करता है। मैं घर से वस्तु ले जाता हूँ। वह उस वस्तु से दूर रहता है। कमल से सुगन्ध नहीं आती है। बच्चा पानी से नहीं निकलता है। वह दही से घी निकालता है। प्राकृत स्वयं-शिक्षक
SR No.002253
Book TitlePrakrit Swayam Shikshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year1998
Total Pages250
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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