SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 378
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३६४ : अपभ्रंश कथाकाव्य एवं हिन्दी प्रेमाख्यानक ३२६ ३२४ शब्द पृष्ठ शब्द रसरतन १४,५४,१३६ लीलावती १४,४३,२०५,२२८,२२९ राघव १७२ लोककथा १२,१९७ राघव चेतन ५२,८१ लोककाव्य-कथा १९७ राजमती . ३३ लोकगाथा १९७. राजमार्ग २७८ लोकाख्यान २०९ : राजाख्यान २१० लोरक राम-कथा ३३९ वच्छराज २०५ . रामदेव . ५० वज्रदंत २४६ रायमेहर ३८ वथ ह छंद ३३४ रास १९५,१९९ वनमाली रासक १९९ वराहदत्त २३० रासो १२७,१९९ वर्षाऋतु रीति ९७,१०२ वसन्तऋतु रुक्म वसन्तश्री २२७ रुक्मिणी ४८ वसुदेव रुक्मिणीपरिणय ६५ वस्तु-वर्णन रूपचन्द वाजिर . ६९ .. रूपनगर ८९,१८२ वाणासुर ४६ वाणी रूपरेखा वाद्ययंत्र १४९,३०७ रूपशैली १०८ · वार्ता ११,१९५ लक्ष्मणसेन पद्मावती १७७ लखनौती २३७ लखमसेन वासुदेव लखमसेन-पद्मावतीकथा वास्तुशिल्प लगुडारास २०१ विकथा लट १५९ विक्रम लतारासक २०१ विजयपाल १७७ विजयानन्द लाम-अलिफ १७७ विदर्भ लीला १९५ विद्युत्प्रभ लीलावईकहा २२६,३०९ विद्युन्माली २८६ ६९ रूपमंजरी ८३ १३३ वाव ३७ वासव लाम
SR No.002250
Book TitleApbhramsa Kathakavya evam Hindi Premakhyanak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremchand Jain
PublisherSohanlal Jain Dharm Pracharak Samiti
Publication Year1973
Total Pages382
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy