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________________ . ३५८ : अपभ्रंश कथाकाव्य एवं हिन्दी प्रेमाख्यानक शब्द २३० कणयापुर कत्था कथा १७७ ___. २१६ कथा-अभिप्राय कथा-आख्यायिका कथाकाव्य कथानक कथानक-रूढ़ि कथानिका कथा-विन्यास कथासरित्सागर कथा-साहित्य कथोद्देश्य कनकपुर कनकप्रभ कनकमाला कनकहाट कनकामर कनकावली कनैगिरिगढ़ कन्नौज कपूरधारा कमलश्री कमलावती करकंडु करकंडुचरिउ पृष्ठ शब्द २०४ - कांतिमती १७६ कादम्बरी ९, १०, ११७, काफ कामकथा १२६, ३०८ कामकन्दला १४, १९८ कामकन्दलाच उपई कामप्रबन्ध ११९ कामसेन । १२८.३०९ कामिनीमोहन छंद . .. ३३५ ११ काव्य ११०, १११ २७५ काव्यरूप __ . ११५ २१५ • काशी ५५, ८४ १९६ कासिमशाह १८३ २८३ किशोर , १५८ कीतिमती . २३० कुंडलिनी १७२ २५९ २५९ कुतुवन. , कुन्दनपुर कुमारपालरास कुवलयावलि कुशललाभ ३८ कृष्ण ४८ कृष्णराज २३७ केलिप्रिय २३० २५२ केश १५८ २५१, ३१४ केशव कोऊहल ६१ कौतूहल ८३ कौशल १२६ खंडकथा ११,२२१,२२२ १९६ खे १७६ कुडालदेश १४४ २०६ २२७ २३१ कर्ण २२६ २२२ कल्पलता कल्याणसिंह कविसमय कहानी
SR No.002250
Book TitleApbhramsa Kathakavya evam Hindi Premakhyanak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremchand Jain
PublisherSohanlal Jain Dharm Pracharak Samiti
Publication Year1973
Total Pages382
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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