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३५४ : अपभ्रंश कथाकाव्य एवं हिन्दी प्रेमाख्यानक
पउमसिरिचरिउ : धाहिल, संपा०-डा० एच० सी० भायाणी, भारतीय
विद्याभवन, बम्बई, वि० सं० २००५. भविसयत्तकहा : धनपाल धक्कड़, संपा०-सी० डी० दलाल, गायकवाड़
ओरियण्टल सिरीज, बड़ौदा, १९२३. मयणपराजयचरिउ : हरिदेव, संपा०-डा. हीरालाल. जैन, भारतीय
ज्ञानपीठ, काशी; १९६२. माधवानल-कामकन्दला : कुशललाभ, संपा०--एम० आर० मजूमदार,
गायकवाड़ ओरियण्टल सिरीज, बड़ौदा. लीलावईकहा : कौतूहल, संपा०-डा० ए० एन० उपाध्ये, . सिंघी. जैन
ग्रन्थमाला, भारतीय विद्याभवन, बम्बई, १९४९. वसुदेवहिण्डी : संघदासगणि, संपाo-मुनि चतुरविजय-पुण्यविजय, · जैन
• आत्मानन्द सभा, भावनगर, वीसलदेवरासो : संपा०-सत्यजीवन वर्मा, नागरी प्रचारिणी सभा,
काशी, वि० सं० १९८२; डा० माताप्रसाद गुप्त, हिन्दी परिषद, प्रयाग विश्वविद्यालय, डा. तारकनाथ अग्र
वाल, हिन्दी प्रचारक, वाराणसी, १९६२. समराइच्चकहा : हरिभद्रसूरि, संपा०-डा० हर्मन जेकोबी, एशियाटिक
सोसाइटी आफ बंगाल, कलकत्ता, १९२६. सिरिपासनाहचरिय : गुणचन्द्र, संपाo-आचार्य विजयकुमुदसूरि,
- अहमदाबाद, १९४५. सिरिसिरिवालकहा : रत्नशेखरसूरि, भावनगर, १९२३. . सुअन्धदहमीकहा : उदयचन्द्र, संपा०-डा० हीरालाल जैन, भारतीय ज्ञान
पीठ, काशी; १९६६. सुपासनाहचरिय : लक्ष्मणगणि, संपा०-हरगोविन्ददास, वाराणसी,
वी० सं० २४४५. संदेशरासक : अब्दुर्रहमान, हिन्दी ग्रन्थ-रत्नाकर, बम्बई, १९६०.
गुजराती-ग्रन्थ प्राचीन गुर्जर काव्य-संग्रह : गायकवाड़ ओरियण्टल सिरीज, बड़ौदा, १९१६.
अंग्रेजी-ग्रन्थ ऑन दि वेदस : श्री अरविन्द, पाण्डिचेरी, १९५६.