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छ अनुक्रमः
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प्राक्कथनम्
आमुख ............................. (१) नयानुयोगः .................. श्री आर्यरक्षित सूरिजी.. ...........१ (२) नयकर्णिका ............... महो. श्री विनयविजयजी. (३) नयरहस्यम्. ............... महो. श्री यशोविजयजी. (४) अनेकान्त-व्यवस्था ............ महो. श्री यशोविजयजी.. (५) नयाधिगमः ................... वाचकश्री उमास्वातिजी......... (६) नयोपदेशः .................. महो. श्री यशोविजयजी
................... वृत्ति :- आचार्यश्री भावप्रभसूरिजी........ (७) नयपरिच्छेदः ................ श्रीवादीदेवसूरिजी.. (८) नयप्रकाशस्तवः ........... पंडित श्रीपद्मसागरगणी.. (९) नयचक्रालापपद्धतिः .........पंडितश्री देवसेनगणी.... १२३ (१०) नयचक्रसारः ........................... श्री देवचन्द्रजी....... १३८
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