________________ “जीवन के साथ जीने की कला का संमिश्रण जीवन को प्रकाशमय बनाता है और जीनेकी कला बिना का जीवन अंधकारमय बनाता है, और अंधकार का पुनरावर्तन अनेक भवों तक चालु रहता है।" "साधु का भोजन = ज्ञानार्जन" . "साधु का जलपान = क्षमा का जल" “साधु का चलना = माता की प्रतिपालना" "साधु का बोलना = कर्मो को खपाना' “साधु का बैठना = आज्ञा की पालना" . “साधु का सोना = कषायों को सुलाना" “साधु का खडा रहना = ध्यानाग्नि को जलाना “साधु का चिंतन = शास्त्रों का मंथन" GOOOOOOOOOOOOOOOce Rajarts rajarts2003@yahoo.co.in 9427470773A'bad