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________________ दो शब्द उपदेश माला यानि उपदेशों के पुष्पों को इकट्ठे कर के गुंथी हुई जिन वाणी की माला। माला में अनेक प्रकार के पुष्प पीरोये जाते हैं वैसे ही इस उपदेश माला में प्रभु महावीर स्वामी उपदेशित अनेक प्रकार के उपदेशों के वचनों को एकत्रित किये हैं। समकित रूपी धागे में पीरोये हुए आचरणाओं के पुष्प तभी तक शोभनीक. सुगंधित रहते हैं जब तक सम्यक्त्व रूपी धागा अखंडित है। .. जिनशासन में समकित को ही धर्म का उत्पादक माना है। समकित के प्रकटीकरण के साथ धर्म का शुभारंभ होता है। इस उपदेश माला का गठन वृद्धवादानुसार प्रभु श्री महावीर भगवान् के हस्त दीक्षित शिष्य श्री धर्मदास गणिवर्य हैं। जिन्होंने अपने पुत्र का भावी अनर्थ जानकर उसे धर्म में स्थिर करने के लिए इस ग्रंथ का निर्माण किया। चतुर्विध संघ के लिए यह ग्रंथ अतीव उपयोगी साधन है। इस ग्रंथ पर अनेक पूर्वाचार्यों ने प्राकृत-संस्कृत में विवेचना की है। ... हिन्दी गुजराती में अनुवाद भी छपे हैं। सर्व साधारण के लिए उपयोगी बनें इस हेतु आ.श्री भुवनभानु सूरीश्वरजी ने गुजराती में मूल-मूलानुवाद छपवाया था। उसीको देखकर हिन्दीभाषी आराधकों के लिए आराधना में उपयोगी बनें इस हेतु | ठसी का हिन्दी अनुवाद कर प्रकाशित किया है। मु. श्री पद्मविजयजी (श्री वल्लभसूरिजी समुदाय) द्वारा श्री रामविजयजी कृत टीका का हिन्दी अनुवाद भी छपवाया है। पाठक गण लाभान्वित बनें। यही, सेरणा (जालोर) जयानंद २०६४ द्वि. ज्येष्ठ सुदि १० प्रतिष्ठा दिन
SR No.002244
Book TitleUpdesh Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayanandvijay
PublisherGuru Ramchandra Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages128
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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